एफडीए बना त्रिशंकु, मिलावटखोरों की बल्ले बल्ले

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फर्रुखाबाद: फूड एंड ड्रग अथारिटी (एफडीए) का स्थानीय कार्यालय नगर मजिस्ट्रेट और मुख्य चिकित्साधिकारी के बीच विगत लगभग दो माह से त्रिशंकु बन कर रह गया है। स्थिति स्पष्ट न होने के कारण अधिकारी भी मिलावटखोरों के विरुद्ध कार्रवाई को टरका रहे हैं। इसका फायदा मिलावटखोरों को खूब मिल रहा है और उनकी आजकल बल्ले बल्ले जैसी स्थिति है।

खाद्य पदार्थों व दवाइयों के मिलावटखोरों के विरुद्ध प्रभावी अभियान चलाने की दृष्टि से शासन स्तर पर फूड एंड ड्रग अथारिटी (एफडीए) का गठन किया गया था। इसके अंतर्गत जनपद स्तर पर तैनात खाद्य व औषधि निरीक्षकों को नगर मजिस्ट्रेट के आधीन कर दिया गया था। इसके पीछे उद्देश्य यह बताया गया था कि जनपद स्तर पर नगर मजिस्ट्रेट की प्रशासनिक धमक के चलते मिलावटखोरों में कुछ भय बनेगा। इसका कुछ असर भी हूआ परंतु इसी बीच मुख्य चिकित्सा अधिकारियों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया। माह अप्रैल में एक बार फिर से इन निरीक्षकों को चिकित्सा विभाग के आधीन किये जाने के आदेश कर दिये गये। परंतु किन्हीं कारणों से इसका क्रियांवयन रोक दिया गया। इधर मुख्य चिकित्साधिकारियों के संगठन की ओर से मामला उच्च न्यायालय ले जाया गया। मामला तकनीकी होने के कारण न्यायालय ने पूर्व व्यवस्था लागू करने के आदेश कर दिये। लखनऊ में एक सीएमओ  की हत्या के बाद से दबाव में चल रहे शासन ने इस बार बिना किसी ना नुकुर के न्यायालय के आदेशों के अनुपालन का शासनादेश जारी कर दिया। यह आदेश यहां विगत 15 जून को प्राप्त हो गया था। परंतु अभी तक विभाग के सीएमओ को हस्तांतरित किये जाने के आदेश जनपद स्तर पर क्रियांवित नहींह हुए है। बताया गया है कि फाइल जिलाधिकारी के कैंप कार्यालय पर अनुमोदन के लिये गयी हुई है। इस फेर बदल की जानकारी व्यापारियों को भी है। मिलावटखोर इस स्थिति का जमकर दोहन कर रहे हैं।

मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पीके पोरवाल ने बताया कि अभी एफडीए का स्टाफ उनके कार्यालय को स्थानांतरित किये जाने का आदेश उनको नहीं मिला है।