पैरा मेडिकल कार्यशाला: आयोडीन का कुपोषण से सीधा सम्बंध

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फर्रुखाबाद: कित्साधिकारी कार्यालय में शनिवार को बाल स्वास्थ्य पोषाहार माह के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यशाला के दौरान विषय विशेषज्ञों ने नमक में आयोडीन की अल्पता से होने वाले विकार, कुपोषण आदि के विषय में चिकित्सा विभाग के पैरामेडिकल स्टाफ को जानकारी दी। कानपुर मेडिकल कालेज के लेक्चरर डा. आरपी शर्मा ने बताया कि आयोडीन की कमी कुपोषण को और घातक बना देती है।

मेडिकल कालेज के विभागाध्यक्ष डा. एसके बर्मन ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सहित दुनिया के 17 ऐसे देश हैं जहां पर नब्बे के दशक के दौरान कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या घटने के बजाय तेजी से बढ़ी है। अगर हमको ने अपने यहां कुपोषण को कम करने के लिए ठोस व कारगर कदम न उठाए तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार सारी धरती की जनसंख्या के लिए पर्याप्त अनाज उत्पादन के बावजूद दुनिया में हर साल तीन करोड़ लोग भूख के कारण मरते हैं और 81 करोड़ 80 लाख लोग कुपोषण के शिकार होते हैं। इस रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को समुचित पोषक तत्व न मिलने के कारण हर सात सेकंड में एक बच्चा कुपोषण के कारण मरता है और लाखों नवजात शिशु विकलांग या मानसिक रूप से असंतुलित पैदा होते हैं।

कार्यशाला के दौरान बातया गया कि इस समस्या के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जागरूकता के बावजूद भारत , बांग्लादेश , कीनिया, तंजानिया , यूगांडा , उत्तरी कोरिया आदि देशों में कुपोषित लोगों की संख्या घटने के बजाय बढ़ी है। विश्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत को कुपोषण की गंभीर स्थिति के बारे में चेतावनी दी है और कहा कि भारत को कुपोषण से हर साल कम से कम 10 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा कुपोषण से बाल मृत्यु दर घटाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी झटका लग रहा है। भारत में पैदा होने वाले 30 प्रतिशत नवजात शिशु कम वजन के होते हैं तथा 60 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी होती है। डा. बर्नी ने बताया कि परिवार में माता-पिता और अन्य लोगों को बच्चों के उचित आहार संबंधी जानकारी न होने का नतीजा यह होता है कि 50 प्रतिशत बच्चों को अपने घर में पर्याप्त भोजन होते हुए भी अपर्याप्त आहार मिलता है। यही अपर्याप्त आहार बच्चों में समय- समय पर इन्फेक्शन की संभावना को बढ़ाता है। वर्कशॉप में कहा गया कि कुपोषण के लिए आज आयोडीन , लौह तत्व तथा विटामिन ए की कमी भी जिम्मेदार है लेकिन हमारे देश में सबसे अधिक कुपोषण खाने की कमी के कारण होता है।

मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पीके पोरवाल ने बताया कि महिलओं में कुपोषण्, टीकाकरण व आयोडीन युक्त भोजन के महत्व के विषय में जागरूकता बहुत आवश्यक है।