फर्रुखाबाद: “दुनिया में बाल श्रम का मुख्य कारण गरीबी है। भारत की राजधानी सहित सभी कोनों में बाल श्रम बदस्तूर है। घर से बाहर निकलते ही जो पहली चाय की दुकान होती है, वहां आपको एक “छोटू” नजर आ जाता है।
वह चाय के कप साफ करता है और हमें चाय देता है। हम आराम से देश में बढ़ रहे बाल श्रम पर चर्चा करते हुए उससे चाय ले लेते हैं और पीने लगते हैं। मगर यह कभी नहीं सोचते कि अभी-अभी हमने भी इसी बाल श्रम को बढ़ावा दिया है।
ऐसे बच्चे आपको बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, ढावों पर देखे जा सकते हैं | जिनकी उम्र पढ़ने खेलने व खाने की उम्र होती है उन्हें यह गरीबी और बंधुआ मजदूरी बिरासत में मिलती है या धन्ना सेठ जबरन मजदूरी करवाकर उनका शोषण करते नजर आते हैं|
राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग की बेवसाइट पर मौजूद वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार देश में बाल श्रमिकों की संख्या1.27 करो़ड है। इसमें बंधुआ सहित तमाम तरह के बाल श्रमिक शामिल हैं। देश में राष्ट्र्रीय बाल आयोग के अलावा दिल्ली एवं बिहार सहित केवल नौ राज्यों में बाल अधिकार आयोग हैं मगर इन बाल अधिकार आयोगों के पास पर्याप्त शक्तियां नहीं होने के कारण यह बाल श्रम को रोकने में लगातार नाकाम साबित हो रहे हैं।