बेसिक शिक्षा में आडिट: घूसदोहन, सैरसपाटा या भ्रष्टाचार की फाइलों का अंतिम क्रियाक्रम

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फर्रुखबाद: चोरी और सीना जोरी की कहावत वास्तव में बेसिक शिक्षा विभाग पर ही चरितार्थ होती है। स्थिति यह है विभागीय अधिकारी आडिट टीम तक को संबंधित अभिलेख उपलबध नहीं कराते है। विगत कई दिनों से यहां डेर डाले आडिट टीम को एबीएसए व समंवयक घास नहीं डाल रहे हैं। इससे पूर्व हुए आडिट की भी यही हालत रही। विगत आडिट मे दो जिला समंवयकों द्वारा डायरी उपलब्ध न कराने के मामले में तो राज्य परियोजना निदेशक ने बीएसए को पत्र भी लिखा है। मजे की बात है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी कौशल किशोर इस पत्र के संज्ञान तक से इनकार कर रहे हैं।

बेसिक शिक्षा अधिकारी को नहीं मालूम- उनके विभाग में आडिट भी चल रहा है?

विदित है कि महालेखा निरीक्षक इलाहाबाद से आये सहायक लेखाधिकारी सुरेंद्र बहादुर कनोजिया व वरिष्ठ लेखाकार साजिद अली विगत तीन दिनों से जनपद में डेरा डाले हैं। दोनो आडीटर सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों व सर्व शिक्षा अभियान के जिला समंवयकों को फोन कर अभिलेख उपलब्ध कराने के अनुरोध कर रहे हैं। श्री कन्नौजिया ने बताया कि अभी नाम मात्र के ही अभिलेख मिल पाये है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों के असहयोग की बात स्वीकार की।

फर्जीवाड़े छुपाने के लिए आडिट टीम को खर्च सम्बन्धी फ़ाइल तक नहीं दिखाई गयी-

बेसिक शिक्षा विभाग में चोरी और सीनाजोरी का रिवाज काफी पुराना है। विगत वित्तीय वर्ष 2009-10 के आडिट के संबंध में सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक के राम मोहन राव ने जिन आडिट आपत्तयों का उल्लेख अपने 26 मई के पत्र मे किया है वह काफी चौंकाने वाली हैं। इसमें कहा गया है कि बाल साहित्य खरीदने के लिये 15 लाख 60 हजार रुपये का चेक जारी किया गया परंतु इस खरीद से संबंधित प्रपत्र आडिट टीम को नहीं दिखाये गये। बेसिक शिक्षा के विभागीय वाहन की लाग बुक प्रस्तुत नहीं की गयी। आपत्ति करने पर छाया प्रति संलग्न किये जाने का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट भेज दी गयी परंतु उसमें छाया प्रति निकली ही नहीं।

पूरे प्रदेश में है चोरो की फ़ौज?

पिछला बेसिक शिक्षा अधिकारी हो या वर्तमान सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं| जो घोटाला घपला पिछला बेसिक शिक्षा अधिकारी कर जाता है उसे छुपाये रखने की जिम्मेदारी अगले की होती है| इस पूरे खेल में बड़े बाबू का बड़ा योगदान होता है| भ्रष्टाचार की गंगा में गोते लगाते बाबू पूरे गेम के प्लानर होते है| इसीलिए कभी कभी विभाग में आती जाती चिट्ठियां भी अधिकारी नहीं जान पाते|
मजे की बात है कि जिला संमंवयक सुनील कटियार व श्रीनिवास मिश्रा ने आडिट दल के सामने उपस्थित होने के बावजूद भ्रमण् डायरी अवलोकन हेतु उपलब्ध नहीं करायी। राज्य परियोजना निदेशक ने दोनो जिला समंवयकों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश भी दिये। परंतु कार्रवाई तो दूर बीएसए डा० कौशल किशोर तो सिरे से इस पत्र को ही नकार गये।

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