स्पीक एशिया का सिंगापुर में बैंक खाता बंद

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वित्तीय संचालन लगभग ठप,

फर्रुखाबाद : विवादों में घिरी स्पीक एशिया कंपनी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सिंगापुर में बैंक खाता बंद हो जाने के बाद कंपनी के सभी तरह के भुगतान रुक गए हैं। कंपनी का वित्तीय संचालन लगभग ठप हो गया है। कंपनी ने खुद स्वीकार किया है कि खातों के संचालन पर रोक लगने से उसे अस्थायी तौर पर भुगतान के पूरे तंत्र को बंद करना पड़ रहा है।


कारोबार को लेकर विवाद बढ़ते ही सिंगापुर स्थित यूनाइटेड ओवरसीज बैंक ने 25 मई को उसके दो बैंक खातों को बंद कर दिया था। इसके बाद से कंपनी की भुगतान की पूरी प्रक्रिया रुक गई और कंपनी के सदस्यों में हड़कंप मच गया। इन्हीं दो खातों के जरिये कंपनी के सदस्यों को भारत में भुगतान होता था। चूंकि अभी तक किसी दूसरे बैंक में कंपनी के खाते नहीं खुले हैं इसलिए सदस्यों के भुगतान की परेशानी अभी कुछ समय और खिंच सकती है। अब कंपनी भारत में शाखा खोलकर स्थायी प्रतिष्ठान के जरिये खुद को स्थापित करने की कोशिश में जुटी है ताकि विदेशी कंपनी होने के आरोपों से बचा जा सके। कंपनी की चेयरपर्सन और सीईओ हरेंदर कौर ने अपने सभी सदस्यों को भेजे संदेश में कहा है कि किसी दूसरे बैंक में अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग गेटवे के जरिये भुगतान प्रक्रिया शुरू करने में आमतौर पर छह से आठ हफ्ते का समय लगता है। इससे साफ है कि तब तक कंपनी की भुगतान संकट की समस्या सुलझने वाली नहीं है।

ऐसे चलती थी चेन

सदस्‍यता लेने के लिए स्‍पीक एशिया की चेन के अंतर्गत आपको किसी सदस्‍य के साथ जुड़ना होता था। इसके लिए 11 हजार रुपए देने होते थे। लालच यह दिया जाता था कि 11 हजार देने के बाद तीन महीने में आपका पैसा वसूल हो जायेगा। यानी कंपनी चार-चार हजार रुपए हर महीने देगी। इसके लिए आपको बस इंटरनेट पर जाकर एक सर्वे में भाग लेना होगा। कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर विश्‍व की तमाम मल्‍टीनेशनल कंपनीज़ को अपना क्‍लाइंट बताया और कहा कि ये सर्वे उन्‍हीं कंपनियों के लिए किये जाते हैं।

जाहिर है बड़ी कंपनियों के नाम आते ही आम आदमी आसानी से बेवकूफ बन सकता है। कंपनी कभी सदस्‍यों के अकाउंट में सीधे पैसा नहीं डालती। पैसा आता था वो भी डॉलर में। यानी उसे निकालने के लिए आपको टीडीएस कटवाना पड़ेगा, जो काफी अधिक रकम होती थी। ऐसे में लोग अपना पैसा नये सदस्‍यों के अकाउंट में ट्रांसफर कर देते और उससे कैश ले लेते। जिन लोगों ने अकलमंदी दिखाते हुए यह काम किया उनका पैसा तो वसूल हो गया, लेकिन बाकी लाखों लोगों का पैसा कंपनी के खाते में है।

और भी कई कंपनियां सर्वे के नाम पर चला रही हैं धंधा

स्‍पीक एशिया की तर्ज पर कई सर्वे कंपनियों ने योजनाएं चला रखी हैं। राडो घड़ी और ब्लैक बेरी फोन से लेकर कार तक देने का वादा किया जाता है। एक निवेशक द्वारा दो नए लोगों से निवेश कराने पर उसे पेयर कहा जाता था। कुछ कंपनियां 10 पेयर पर घड़ी, 25 पेयर पर मिनी लैपटाप, 250 पर नैनो कार, 800 पर अल्टो कार, 3000 पर सफारी कार देने का वादा कर रही हैं। एक नए निवेशक को कंपनी से जोड़ने पर 500 रुपये की डायरेक्टर इनकम की भी सुविधा है। दूसरे निवेशकों को अपने अंडर में ज्वॉइन कराकर खुद भारी लाभ कमाने के लालच में लोग ऐसी ऑनलाइन सर्वे कंपनियों में निवेश को बतौर एक व्यवसाय के अपनाने लगे हैं। कुछ महीनों बाद ऐसी कंपनी द्वारा भुगतान न करने अथवा उस पर कानूनी शिकंजा कसने पर निवेशकों को पता चलता है कि मेहनत से कमाए गए लाखों रुपये डूब चुके हैं, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। भारी मुनाफा कमाने के लिए कई निवेशकों ने अपने नीचे सैकड़ों अन्य लोगों के रुपये निवेश कराए हैं। बहुत से निवेशक ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी एफडी तुड़वाकर, कार, जेवर व कीमती सामान बेंचकर, व्यवसाय को बंद कर ऐसी ऑनलाइन कंपनियों में लाखों रुपये निवेश किए हैं।