फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) कुत्तों के लिए पार्वो नामक वायरस जानलेवा साबित हो रहा है। इस वायरस की चपेट में आने से कुछ ही दिनों में कुत्तों की मौत हो जाती है। यही कारण है कि पशु चिकित्सालय पर इन दिनों बड़ी संख्या में कुत्ते पहुंच रहे हैं। पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस वायरस की चपेट में आने से कुत्तों के लिए जान का खतरा बढ़ गया है। टीकाकरण ही इसका मात्र उपाय है। मौसम बदलने से पालतू कुत्ते कैनाइन पारवो वायरस की चपेट में आ सकते हैं। इस बीमारी से कुत्तों की आंत में संक्रमण हो सकता है। बड़े जानवरों को इस वायरस से कोई खतरा नहीं, लेकिन छोटे जानवरों के लिए यह वायरस गंभीर खतरा पैदा करता है। समय पर इलाज नहीं मिलने से कुत्तों को खून की उल्टी भी हो जाती है। कुत्तो में पारवो वारयस का संक्रमण कैनिन पारवो नामक विषाणु से होता है। यह संक्रमण स्वस्थ श्वानों में इस रोग से ग्रसित श्वानों के संपर्क में आने या उनके द्वारा उत्सर्जित मल-मूत्र अथवा संक्रमित सामग्रियों के उपयोग से होता है। समय से उचित इलाज नहीं होने पर 70 से 80 प्रतिशत कुत्तो के बच्चों की मृत्यु तक हो जाती है। वयस्क कुत्तो में भी मृत्यु का प्रतिशत अधिक होता है। मौसम बदलने से सिर्फ इंसान ही नहीं पालतू पशुओं की तबियत भी बिगड़ने लगी है। सबसे ज्यादा असर छोटे पालतू जानवरों पर पड़ रहा है।
क्या है पारवो वायरस
जानवरों में तमाम तरह की संक्रामक बीमारियां होती है। इनमें कुत्तों में होने वाली बीमारियों में पार्वो वायरस बेहद घातक है। यह एक वायरल बीमारी है और समय पर उपचार न मिलने से जानवरों की मौत तक हो जाती है। वायरस से कुत्तों को बचाने के लिए तीन टीके लगाए जाते हैं। इनमें पहला टीका पिल्ले को डेढ़ महीने की उम्र में, दूसरा ढाई और तीसरा टीका साढ़े तीन महीने की उम्र में लगाया जाता है। पार्वो वायरस से प्रभावित कुत्ते की आंतों में गंभीर संक्रमण हो जाता है।
कैसे फैलता है यह संक्रमण?
इस वायरस संक्रमित कुत्ते के सम्पर्क में आने या उसकी संक्रमित चीजें दूसरे कुत्ते तक पहुंचने पर उसे बीमार बना सकता है। संक्रमित कुत्ते का मल सूंघने, उसे चाटने, उसका जूठा खाने को खाने या पानी पीने से भी स्वस्थ कुत्ते में संक्रमण फैल सकता है। इसलिए ऐसी स्थिति में अपने पालतू कुत्ते को टहलाते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें।
बीमारी के लक्षण
-पार्वो की चपेट में आ जाने पर कुत्ता खाना पीना छोड़ देता है।
-लगातार उल्टियां करने लगता है।
-कुत्ते को खूनी दस्त शुरू हो जाते हैं
-बीमारी की चपेट में आ जाने पर कुत्ते के मल में बहुत अधिक बदबू आती है|
-पार्वो की चपेट में आने पर कुत्ते का तापमान बहुत कम हो जाता|
नेकपुर चौरासी स्थित कुत्ता स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ० एएस कटियार नें जेएनआई को बताया की मौसम बदलने से कुत्तों के लिए सबसे घातक पारवो वायरस सक्रिय हो जाता है। जिनमें वैक्सीनेशन होता है, वह डॉग तो बीमारी से बच जाते है, लेकिन जिन कुत्तों का टीकाकरण नहीं कराया गया है, उनमें यह वायरस जल्दी अटैक करता है। पारवो वायरस कुत्ते की आंत में अवरोध पैदा करता है। इससे आंतों में संक्रमण हो जाता है। जिस कारण कुत्ते को खूनी उल्टी-दस्त होने लगते हैं। कुत्ते के पिल्लों के लिए तो यह वायरस इतना घातक है कि डेढ़ से दो माह के पिल्लों की मौत तक हो जाती है। चिकित्सक डॉ० कटियार नें यह भी बताया कि डॉग को नियमित टीकाकरण कराये| जिससे डॉग को जान लेवा बीमारी ना हों | पार्वो से बचाव का टीकाकरण ही बचाव है|