फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) शहर में वसंत पंचमी पर पतंगबाजी का चलन पुराना है। खासकर युवा, किशोरों में इसके प्रति दीवानगी देखते ही बनती है। वसंत पंचमी यानी 26 जनवरी को उनका पूरा दिन अपने मकानों की छतों पर ही बीतेगा। एक ओर तेज आवाज में गीत-संगीत और पतंगबाजी के बीच वो काटा के समवेत स्वर गूंजेंगे। बुधवार को वसंत पंचमी के लिये पतंगो की खूब बिक्री हुई|
शहर में पतंग, डोर, मांझा की कुछ दुकानें तो स्थाई है। इनके अलावा वसंत पंचमी पर्व निकट आते हैं अनेक अस्थाई दुकानें लग जाती हैं। इस पर्व पर कई लाख रुपये का पतंग, मांझा का कारोबार होता है। पिछले कई दिनों से युवाओं और किशोरों ने वसंत पंचमी के लिए कई दिन पहले ही तैयारी शुरू कर दी थी। अनेक लोगों ने वसंत पंचमी आने से पहले ही पतंगें उड़ाना भी शुरू कर दिया। इस पर्व को लेकर युवाओं, किशोरों और बच्चों में काफी उत्साह दिखाई पड़ रहा है। पीढि़यां बदल गईं, समय के साथ पतंगबाजी करने वाले चेहरे भी बदलते गए लेकिन पतंगबाजी का दौर कायम रहा है। मकर संक्राति पर्व पर एक दिन पूर्व आसमान में पेंच लड़ाने के लिए एक दिन पहले ही शहर से लेकर जिले भर में पतंग के बाजार में खूब बिक्री हुई। मकर संक्रांति पर पतंगबाजी के लिए बच्चों में खासा उत्साह है। बच्चों ने अपनी-अपनी पसंद की पतंग और डोर की चकरियां खरीदीं। पतंगबाजी के शौकीन युवाओं की पतंगों की दुकानों पर भीड़ बनी रही। बाजार में भी दिनभर भीड़ रही। इसके साथ ही मकर संक्रांति पर्व पर तिल-गुड़ की गजक व अन्य व्यंजनों की भी अच्छी ग्राहकी हो रही है।
वंसत पंचमी पर होगा सरस्वती पूजन
वसंत पंचमी के दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। पारंपरिक रूप से वसंत पंचमी का ये पर्व छात्रों के लिए काफी शुभ माना गया है। इस दिन कला, संगीत और शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित लोग और खासतौर पर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का श्रीगणेश किया जाता है। स्कूलों में भी विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के अलावा कई जगहों पर बड़े पैमाने पर पतंग महोत्सव का आयोजन होता है।
वसंत पंचमी पर क्यों उड़ाई जाती है पतंग ?
बसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा काफी लंबे समय से चली आ रही है। नए साल की शुरुआत होते ही लोहड़ी और मकर संक्रांति के बाद वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर भी पतंग उड़ाने का खास महत्व होता है। ये एक तरह से वसंत ऋतु के आने की खुशी को मनाने का तरीका है।