रक्षाबंधन का त्यौहार 11 व 12 को, 12 अगस्त को रहेगा श्रेठ

FARRUKHABAD NEWS

डेस्क: भाई तथा बहन को समर्पित त्यौहार रक्षाबंधन की तिथि को लेकर काफी उहापोह है। लोग पसोपेश में है कि रक्षाबंधन का त्यौहार 11 को मनाएं या कि 12 अगस्त को। वैसे 12 को ही रक्षाबंधन का पर्व सिर्फ प्रात: मनाना श्रेष्ठ है। भद्रा में रक्षाबंधन मनाना ठीक नहीं माना जाता है।आइए बताते हैं कि रक्षाबंधन का त्यौहार 12 तारीख शुक्रवार को मनाना क्यों श्रेष्ठ रहेगा। रक्षाबंधन 11 तारीख को मनाने को लेकर काफी भ्रम की स्थिति इसलिए है, क्योंकि को 11 तारीख गुरुवार को पूर्णिमा तिथि प्रात: 09:35 से लगेगी। इसी समय से ही भद्रा भी शुरू हो रही है जो रात्रि में 8: 53 तक रहेगी। इसके बाद दुसरे दिन यानी 12 अगस्त को प्रात: 7:16 तक पूर्णिमा रहेगी। भद्रा में ना ही तो कोई मांगलिक कार्यक्रम होते हैं ना ही इस दौरान रक्षाबंधन का या फिर सुण जिमाने का कार्यक्रम हो सकता है।
12 को मनाना रहेगा श्रेष्ठ
रक्षा बंधन का त्यौहार 12 तारीख शुक्रवार को ही मनाना श्रेष्ठ रहेगा। कोई रक्षाबंधन पर सुण जिमाने का कार्य 11 तारीख रात्रि काल को करता है तो कर सकता है, लेकिन रात 8:53 के बाद इस कार्यक्रम को भी करना लाभदायक नहीं होगा।
उदया तिथि पूर्णिमा 12 अगस्त शुक्रवार को प्रात: 7:15 बजे तक ही है 12 अगस्त शुक्रवार को 7:30 बजे तक रक्षाबंधन और सुन जिमाने का अपने घर का सगुण करके उदया तिथि के हिसाब से दिन भर रक्षाबंधन का कार्य चलता रहेगा शास्त्रों में यही कहा गया है कि जो उदया तिथि है उसी का मान दिन भर रहेगा। अत: मांगलिक कार्य पूरे दिन मानाया जाएगा। रक्षाबंधन का त्यौहार एवं श्रावणी कर्म लोग 12 तारीख शुक्रवार को ही मनाएं पूरा दिन शुद्ध रहेगा
भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी
रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था। भद्रा शनिदेव की बहन थी। भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा।