डेस्क:प्रचंड गर्मी में अक बार फिर प्रदेश की विधुत व्यवस्था पटरी से उतर गयी है|जिसके चलते बिजली का संकट बढ़ता जा रहा है। बिजली की मांग बढ़ने और उपलब्धता घटने से गांव से लेकर कस्बों तक में अधाधुंध बिजली कटौती की जा रही है। लोकल फाल्ट के चलते जनता को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है शहर में अधिकतम तापमान लगभग 42 डिग्री तक पहुँच चुका है,तापमान के बढने के बीच बिजली आपूर्ति की बढ़ी हुई मांग को को पूरा करने में पावर कारपोरेशन प्रबंधन नाकाम साबित हो रहा है माँग और उपलब्धता में भारी अंतर के चलते गाँवो, कस्बो व तहसील मुख्यालयों पर अँधाधुंध बिजली कटौती की जा रही है गाँवो में 10-10 घंटे कटौती की जा रही है|कई जगह पूरी-पूरी रात बिजली नहीं मिल पा रही है जिसके फलस्वरुप जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है| पारा चढ़ने के साथ ही बिजली की मांग 21,698 मेगावाट तक पहुंच गई है जबकि उपलब्धता ढाई हजार मेगावाट घटकर 19 हजार मेगावाट के आसपास ही है। प्रदेशवासियों को तय शेड्यूल के अनुसार बिजली आपूर्ति करने के लिए लगभग 454.96 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली की आवश्यकता है लेकिन पावर कारपोरेशन 421.74 एमयू ही बिजली दे पा रहा है।वैसे तो जिला मुख्यालय से लेकर मंडल मुख्यालय बिजली कटौती से मुक्त हैं लेकिन जर्जर तारों और ओवरलोड ट्रांसफार्मरों के कारण कहीं न कहीं लोकल फाल्ट होता रहता है, जिससे शहरवासियों को भी घंटों बिना बिजली के रहना पड़ रहा है।
ठप है 2500 मेगावाट बिजली का उत्पादन : कोयला संकट सहित अन्य कारणों से राज्य के विभिन्न उत्पादन गृहों की लगभग ढाई हजार मेगावाट की यूनिटों से बिजली का उत्पादन ठप है। इनमें निजी क्षेत्र के ललितपुर पावर प्लांट की 660 मेगावाट की एक यूनिट कोयले की कमी के कारण बंद है। इसी तरह मेजा की 660 मेगावाट, हरदुआगंज विस्तार की 660 मेगावाट,ओबरा की 200 मेगावाट, अनपरा की 210 मेगावाट, रिहंद व सिंगरौली की 700 मेगावाट की यूनिटों के बंद होने से उससे मिलने वाली 272 मेगावाट बिजली भी राज्य को नहीं मिल पा रही है। बिजली संकट को देखते हुए पावर कारपोरेशन प्रबंधन जल्द से जल्द इन यूनिटों से भी बिजली का उत्पादन शुरू हो जाए।