फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) होली जलने की परंपरा के साथ ही उसकी आग से जौ भूनने की प्राचीन परंपरा के निर्वहन के लिए गुरुवार को जौ की बालियों की जमकर बिक्री हुई। तमाम ग्रामीण पहले से जौ की बालियों की गुच्छियां बनाकर लाए थे। जो दस रुपये तक में बिकी। होली पर जौ की बालियां और गन्ना मनमाने दामों पर बिके। लोग सुबह से ही पूजन के इस महत्वपूर्ण सामान को लेने के लिए मारे-मारे फिरते रहे। 10 से 20 रुपए की पांच बालियां बिकी। इसके साथ ही चने के हरे पौधे भी खूब बिक्री किये गये|
होली की परंपरा में जौ का विशेष महत्व है। इसे फसल पकने का संकेत भी माना जाता है। जौ की बालियों को होली की आग में भूनने के बाद इसके दाने निकालकर लोग एक दूसरे को देते हैं। इसके साथ ही राम-राम की परंपरा भी है। इस संदेश का सीधा महत्व फसल की खुशियों से भी जोड़ा जाता है। होली की आग ठंडी होने के बाद ही जौ की बाल में सुनहरा छाने लगता है और लोग फसलों को काटना शुरू कर देते हैं। होली में जौ भूनने की परंपरा का निर्वहन करने के लिए घर-घर जौ कीे बाली की मांग रहती हैहोली का पर्व खेती का त्यौहार है। एक ओर यह जहां प्रकृति से जुड़ा है, वहीं पर दूसरी ओर इसमें प्रयुक्त सभी सामान खेत-खलिहानों से उपलब्ध होते हैं। यह पर्व फसल आने की खुशी में मनाया जाता था। जलती होली में गन्ने में बांधकर बालियों को भूनने के बाद दाने सभी को वितरित किए जाते हैं। इसके लिए शहरी क्षेत्रों में गन्ने और बालियां खरीदकर ही लाए जाते हैं। होली पर गन्ना और जौ की बाली मनमाने दामों पर मिलीं। एक गन्ना जहां 10 से 20 रुपए में मिला, वहीं पर जौ की पांच से 11 बाली 15 से 20 रुपए में बिकी। लोगों ने पूजन के लिए पांच, सात व 11 बालियां खरीदीं। पूजन के लिए लोगों ने पक्की बालियां ही खरीदीं। कुछ लोगों ने तो गांव से दूध लेकर आने वाले दूधियों से बालियां मंगवाई। किसान परिवार के लोगों ने एक दिन पहले ही अपने गांव से गन्ने और बालियां मंगवाकर रख लिए । शहर में रहने वाले कुछ लोग गांव में जाकर गन्ने और जौ की बालियां लेकर आए। कुछ ने आस पड़ोस से लेकर भी काम चलाया। कुछ लोगों ने अपने गांव से लाकर लोगों को बालियां दीं। होलिका दहन के समय इनका उपयोग होगा|