फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) फलों के राजा आम की फसल ने किसानों के चेहरों पर रौनक बिखेर दी है। आम के पेड़ों में बौर के लदान को देखकर किसान इस बार अंदाजा लगा रहा है कि फसल से मोटा मुनाफा कमाया जा सकेगा। आम के पेड़ अबकी बौर से पूरी तरह ढक गए हैं।
जिले के कमालगंज, याकूतगंज, कायमगंज क्षेत्र के कई गांवों में किसान आम की बागवानी व्यावसायिक तौर पर करते है। अधिकांश किसानों ने अपने बाग में भारी मात्रा में कलमी आम चौसा, लंगड़ा, सफेदा, दशहरी, सेंदुरवा, फजली, सुंदरी के साथ मलिहाबादी आम के पौधों को लगाया है। इन क्षेत्रों में वसंत ऋतु के आगमन के बाद से आम के देशी व अन्य प्रजातियों के पेड़ों में बौर लद गया है। क्षेत्र के आम उत्पादक किसान आम के पेड़ पर पर्याप्त बौर होने से संतुष्ट नजर आ रहे हैं। आम के बगीचों में पेड़ों की रखवाली करने के साथ पेड़ों की देखरेख की जा रही है। पक्षियों को बौर से दूर रख उन्हें भगाया जा रहा है। पक्षी पेड़ पर लगे बौर को काटकर झाड़ देते हैं।
कमालगंज के अम्बेडकर नगर निवासी बागवान अनार सिंह वर्मा ने बताया कि इस बार आम की फसल बेहतरिन आनें की सम्भावना है| जिस तरफ से पेड़ बौर से भरे है यदि मौसम नें साथ दिया तो बेहतर पैदावार होनें का अनुमान है| भोजपुर निवासी बागवान आबिद खां ने बताया कि पिछली साल की अपेक्षा इस वर्ष आम में बौर खूब आया है| जिससे अच्छी पैदाबार भी होगी| कि सावधानी के तौर पर पेड़ों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराया जा रहा है। मौसम का रुख अभी तक आम की फसल के पक्ष में है।
शुरुआती आवक में मिलती अच्छी कीमत
देशी और कलमी आम की प्रजाति का उत्पादन अगर अच्छा होगा तो बाजार में आवक के समय किसानों को अच्छी कमाई की उम्मीद है। बाजार में आवक के समय अच्छी प्रजाति के आम के दाम 30 से 40 रुपए प्रति किलो व देसी आम लगभग 20 से 25 रुपए प्रति किलो तक बिकता है।
तेज बारिश से हो सकता नुकसान
हल्की बूंदा-बांदी के साथ नम मौसम आम की फसल के लिए बेहतर मुफीद साबित होता है। वहीं आंधी के साथ तेज बारिश आम की फसल के लिए बेहतर नुकसानदायक होती है। बागवानों को चिंता है कि यदि तेज बारिश होती है तो आम में फंगस लग सकता है। इस रोग से 30 से 40 प्रतिशत फसल तबाह हो सकती है।