फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) एक बहुत पुरानी मिसाल है कि चिराग तले अंधेरा ऐसा ही कुछ हमें खुदागंज की सराय में देखने को मिला जिसकी जमीन पर लगभग पूरा खुदागंज बसा हुआ है।उस सराय के लिए कोई ठीक सा रास्ता भी अब निकलने के लिए नहीं बचा जब हम सराय को देखने के लिए पहुंचे तो एक बहुत पतली सी लगभग 3 फीट की रास्ता से निकलना पड़ा, वहां के लोगों ने सराय की जमीन पर जो कब्जा किया है,वह इस हद तक किया और ये भी भूल गए कि जिसकी जमीन में हम अबैध तरीके से अपना आशियाना बनाये हैं तो उनके आशियाने के लिए तो रास्ता छोड़ दें।
लेकिन जमीन की हवस इस तरह बढ गई कि हम सब भूल गए और सिर्फ अपने फायदे के लिए गलत तरीके से कब्जा कर लिया और सराय में आने जाने वाले लोगों के लिए रास्ता तक नहीं छोड़ा, इस पतली से गली से लोगों का सराय में आना जाना लगा रहता है और उसी जगह पर सराय की एक मस्जिद भी मुग़लकाल में ही तामीर की गयी थी जो बहुत अच्छे और मजबूत ढंग से तामिर की जिसमें खुदागंज के लोग आज भी नमाज अदा करते हैं। जब हमने वहाँ के स्थानीय लोगों से बात की और सराय के बारे में जाना तो लोगों ने बताया कि सराय अब पुरातत्व विभाग में दर्ज है, और इस सराय में लगभग 20 वर्ष पहले विभाग द्वारा मरम्मत का कार्य कराया गया था।
लोगों ने यह भी बताया कि सराय की इमारत क्षतिग्रस्त हो चुकी है और उसमें स्थानीय लोगों के द्वारा अलग-अलग जगह पर कब्जा कर रखा है और जो सराय की जमीन या इमारत है उसमें भी लोग कब्जा किये हुए हैं ,और कुछ लोग कब्ज़ा करने हेतु प्रयासरत हैं स्थानीय लोगों ने यह भी बताया की बहुत पहले पुरातत्व विभाग कन्नौज के द्वारा कुछ लोगों को कब्ज़ा हटाने हेतु नोटिस भी दिए जा चुके हैं लेकिन उसके बाद दुबारा विभाग द्वारा आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है और आये दिन लोग सराय की जमीन या इमारत पर कुछ न कुछ कब्जा करते रहते हैं कब्जा करने वाले लोगों पर आज तक न कोई कार्यवाही हुई और न ही उन लोगों से सराय की सम्पत्ति को खाली कराया गया। (तौसीफ अली)