नारीत्व अपनी शक्ति से करती विरोधियो को परास्त

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फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) मानस सम्मेलन के दूसरे दिन मानस विद्वानों ने बताया कि जब पुरुषार्घ की हार हो जाती है तो नारीत्व अपनी शक्ति से विरोधियो को परास्त करती है। इसलिए नारी को पुरुष से कम नही समझना चाहिए। माँ दुर्गा, रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी शक्ति से विरोधियों को परास्त किया था।
नगर के पाण्डेश्वर नाथ मंदिर में डा० रामबाबू पाठक के संयोजन में चल रहे मानस सम्मेलन में वनारस से आये मानस मनोहर रितेश रामायणी ने कहा कि जहाँ पुरुष का पुरुषार्थ समाप्त होता है वही नारी का नारीत्व प्रारम्भ होता है। भगवान शंकी की एक बूंद से जलंधर का जन्म हुआ, वह भगवान शंकर के स्वरूप की तरह ही दिखता था। जलंधर ने देवताओं को काफी सताया और युद्ध में परास्त किया। देवताओं ने भगवान शंकर से जलंधर के उत्पात की शिकायत की। भगवान शंकर ने जलंघर से युद्ध किया और उससे युद्ध में हार गये। जलंघर की पत्नी वृन्दा परम् सती थी, इस कारण भगवान शंकर अपने ही बेटे जलघर से कई बार हारे। बाद में देवताओं के आग्रह पर विष्णु भगवान ने जलंघर का रूप धारण कर सती वृन्दा के सतीत्व को नष्ट किया उसके बाद जलंघर युद्ध में मारा गया। दुर्ग छत्तीशगढ़ से आये मानस विद्धान पीलाराम शर्मा ने श्रीराम की नम्रता की व्याख्या करते हुए कहा कि विभीषण के राम जी शरण में आने के बाद किसी ने श्री राम से पूछा आपने विभीषण को लंका का राजा घोषित कर दिया यदि रावण भी आपकी शरण में आ जाये तब क्या करेंगे तो श्री राम ने कहा तब मैं रावण को कौशल राज्य (छत्तीशगढ़) दे दूँगा। आगरा से आयी मानस कोकिला सुश्री राधा शर्मा ने भजन प्रस्तुत किया, “हम रामजी के रामजी हमारे, राम ही केवल प्रेम प्यारा जान लेऊ तो जानन हारा”
संचालन पं० रामेन्द्र मिश्र व ब्रज किशोर सिंह किशोर ने किया। इस अवसर पर ज्योति स्वरुप अग्निहोत्री, अशोक रस्तोगी, रामवरन दीक्षित, राजेश हि यादव, कालीलाल, बाल किशन अग्निहोत्री, शशि रस्तोगी, रचना महेश्वरी, सुजीत पाठक, बन्टू अपूर्व पाठक, अद्भुत, वरुण, विशेष, अलग्या आदि मानस प्रेमी मौजूद रहे।