कोरोना से मृत शिक्षकों को स्वास्थ्य बीमा ना कराने पर आन्दोलन की चेतावनी

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फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने चेतावनी देते हुए कहा कि जिन बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक पंचायत चुनाव डियूटी के दौरान कोरोना के चलते मौत के मुंह में चले गये उनका स्वास्थ्य बीमा ना कराने के चलते संगठन नें आंदोलन की चेतावनी दी है|
महासंघ के (प्राथमिक संवर्ग) के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि बेसिक का शिक्षक राज्य कर्मचारी क्यों नही हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद में ही भेदभाव पूर्ण दोहरी व्यवस्था क्यों? इससे यह सिद्ध होता है कि अधिकारी कैसे चालाकी से अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं?
प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद का मुख्य उद्देश्य है विद्यालय संचालन के द्वारा आम जनमानस के बच्चों को शिक्षित करना। बेसिक शिक्षा परिषद के उद्देश्यों को अमलीजामा पहनाने की मुख्य जिम्मेवारी शिक्षक व विद्यालय स्टाफ की होती है। विद्यालय संचालन में मदद करने हेतु अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है। अब यहीं पर खेल शुरू होता हैं। हमारा शिक्षक परिषदीय कर्मचारी कहा जाता है और उन्हें न्यूनतम सुविधाएं दी जाती है। जबकि विभाग में शिक्षकों की सेवा व मदद हेतु स्थापित कार्यालयों में नियुक्त अधिकारी, बाबू, अनुचर को राज्य कर्मचारी कहा जाता है और उन्हें कैशलेस चिकित्सा, विभिन्न प्रकार के भत्ते, वाहन, आवास तथा अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। उन्होंने कहा कि  यदि इन अधिकारियों, बाबू व अनुचरों को भी परिषदीय कर्मचारी ही बनाए रखा जाता तो शिक्षको को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने में क्या दिक्कत थी। अब कोई बताए परिषद में शिक्षकों के साथ ही सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है।
जिला संरक्षक सुखदेव दीक्षित ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के गठन के पूर्व बेसिक शिक्षक जिला परिषद के कर्मचारी थे और जिला परिषद के कर्मचारी को आज भी राज्य कर्मचारी का दर्जा प्राप्त है उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षको को जनगणना,चुनाव व अन्य समस्त सरकारी योजनाओ हेतु आदेश सीधे राज्य सरकार देती है अतः बेसिक शिक्षको को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाये।
नगर अध्यक्ष रेणु सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा इस मांग की पैरवी लगातार की जा रही है पर अधिकारियों द्वारा लगातार शिक्षकों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाया जा रहा है। यदि संगठन की इस मांग को शीघ्र ही ना माना गया, तो राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उ0प्र0 कोरोना काल में भी शिक्षको के हितो के रक्षार्थ जमीनी आंदोलन करने को विवश होगा।
जिलाध्यक्ष संजय तिवारी ने कहा कि बेसिक शिक्षको की नियुक्ति कर्ता प्राधिकारी अर्थात बीएसए की नियुक्ति लोक सेवा आयोग द्वारा होती है ना कि बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा। उन्होंने कहा कि – केंद्र सरकार, राज्य सरकार को शिक्षा अनुदान देती है बेसिक शिक्षा परिषद को नही बेसिक शिक्षा परिषद को समस्त वित्त उ0प्र0 सरकार से मिलता है अर्थात बेसिक शिक्षा परिषद का संचालन उ0प्र0 सरकार ही करती है, अतः बेसिक शिक्षको को तत्काल राज्य कर्मचारी का दर्जा प्रदान कर राज्य कर्मचारियों की भाँति समस्त लाभ प्रदान किये जाये।