रोली-चंद से तिलक के साथ नौनिहालों का हुआ स्वागत

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फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) कोरोना के चलते पिछले वर्ष मार्च में लगे लॉकडाउन के बाद स्कूल कॉलेजों पर ताले लटक गए थे। 11 माह बाद सोमवार को जब नन्हें-मुन्ने बच्चे बैग टांगकर स्कूल पहुंचे तो उनके चेहरे खिल गए। मुंह पर मास्क, कंधों पर बैग टांगकर पहुंचे छात्रों को दोस्तों के चेहरे देखते ही खुशी का ठिकाना न रहा। शारीरिक दूरी का पालन स्कूल में कराया गया। हालांकि क्षेत्र में आलू खुदाई के चलते बच्चे कम ही दिखाई दिए।
प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर स्कूलों को बंद कर दिया गया था। अब प्रदेश सरकार ने बंद प्राइमरी स्कूलों को दोबारा खोलने का आदेश जारी किया है। विकास खंड राजेपुर के प्राथमिक विद्यालय गौंटिया में खंड शिक्षा अधिकारी रमेशचंद्र जौहर व जिला समन्वयक नागेन्द्र सिंह ने नौनिहालों को उपहार देकर उनका उत्साह बढ़ाया| बच्चों शिक्षकों ने सेल्फी प्वांट पर सेल्फी लेकर खूब मस्ती की।
विकास खंड कायमगंज के प्राथमिक विद्यालय मदारपुर में भी सरस्वती पूजन कर बच्चों को बिस्कुट और गजक वितरित की गई। बच्चों की मांग के अनुसार एम डी यम में मेवायुक खीर खिलाई गई। प्रधानाध्यापक राजकिशोर शुक्ल ने उपस्थित बच्चों के साथ साथ अभिभावकों को सौ दिवसीय प्रेरणा ज्ञानोत्सव अभियान के बारे में जानकारी दी|इसके साथ ही बच्चो के ज्यादातर स्कूलों में रोली-चंद से तिलक कर स्वागत किया
कई स्‍कूलों में उत्‍सव जैसा माहौल
एक साल बाद आज से पहली से पांचवीं तक के स्कूल खुले हैं तो कई स्‍कूलों में उत्‍सव जैसा माहौल है। सरकारी स्‍कलों में पहला दिन उत्‍सव के रूप में मनाया जा रहा है। इस संबंध में शासन की ओर से विशेष गाइडलाइन जारी की गई थी। पहले दिन कई विद्यालयों को गुब्‍बारों से सजाया गया है। आज मिड डे मील में बच्चों का मन पसंद नाश्ता और भोजन परोसा गया। कोविड काल की कहानियों को भी आज बच्‍चे और शिक्षक रोचक अंदाज में बयां करते नजर आये। आज के दिन को उत्‍सव के रूप में मनाने की तैयारी पिछले एक हफ्ते से चल रही थी।
बच्चों को भाया विद्यालय का बदला माहौल
स्कूलों को कायाकल्प कराए जाने के बाद पूरा माहौल ही बदल गया है। स्कूल जाने वाले बच्चों को दीवारों ने कहीं महापुरुषों के चित्र, सब्जियां, फल-फूल तो कहीं संदेश परक वाक्य, कविताएं, कहानियां अंकित कराई गई हैं। इसके अलावा प्रेरक कलाकृतियां भी बनवाई गई हैं। यह सब बच्चों को स्कूल में ठहरने के प्रेरित करती है| जिसे 11 महीने बाद देखकर नौनिहाल चंहक उठे|