फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) खाकी के खेल भी निराले है| लेकिन इस समय थाना मऊदरवाजा में तो खुला खेल फर्रुखाबादी चल रहा है| थाने के एक दारोगा पर आरोप है कि जब आरोपी के पिता नें उसे 40 हजार रूपये नही दिये तो उसके पुत्र पर 250 ग्राम नशीला पाउडर में लगाकर जेल भेज दिया| जेल गये आरोपी के पिता नें पुलिस अधीक्षक को शिकायत की है| पहले पूरी खबर समझें-
दरअसल थाना मऊदरवाजा क्षेत्र के ग्राम गढिया ढिलाबल निवासी रामनरेश पुत्र तेजराम नें पुलिस अधीक्षक को शिकायत समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) पर की है| जिसमे कहा है कि बीते 7 फरवरी को लगभग 10 बजे रात को उसका पुत्र रिंकू रेलवे क्रासिंग के निकट शौच करनें गया था| वहाँ के चौकीदार ने उसे पकड़ कर उस पर बैट्री चोरी का आरोप लगाया| जिसके बाद 112 पुलिस उसे लेकर थाने में ले गयी| दारोगा स्वदेश कुमार नें बताया कि तुम्हारे पुत्र नें बैटरा चोरी किया है| तुम बैटरा दे दो तो आरोपी रिंकू को छोड़ देंगे|
लेंकिन मेरे बेटे नें चोरी नही की थी| इसके बाद भी स्थानीय लोगों के कहने पर 6500 रूपये दे दिये| इसके साथ झूठी रिपोर्ट ना लिखनें की विनती की| बैटरा के लिए रूपये देते हुए का वीडियो भी है| बीते 8 फरवरी को पंचायत होकर मामला निपट गया| तब तक दारोगा स्वदेश कुमार आ गये| उन्होंने आरोपी के पिता रामनरेश व बहनोंई को शाम को चौकी पर बुलाया और कहा जिससे चोरी हुई उसके पैसे दे दिये| पुलिस के पैसे कौन देगा| मुझे चालीस हजार चाहिए, रूपये दो तो आरोपी को छोड़ देंगे | जब रूपये देंने से मना किया तो कहा आरोपी रिंकू को जेल में सड़वा दूंगा| इलाहाबाद से जमानत होगी| बीते 7 तारीख को 112 लेकर गयी थी उसके बाद 10 तारिक तक उसे थाने में बैठाकर रखा| 10 फरवरी को 250 ग्राम पाउडर बरामद दिखाकर उसके खिलाफ स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ अधिनियम के तहत एनसीआर दर्ज कराया|
मामले के सम्बन्ध में बार एसोसिएशन के चुनाव समिति के सदस्य अधिवक्ता डॉ० दीपक द्विवेदी नें बताया कि यह विधि विरुद्ध है| पहले तो तीन दिन किसी भी आरोपी को थाने के भीतर नही बिठाया जा सकता| जिसमे दारोगा आईपीसी की धारा 342 के तहत अपराध किया है| वहीं यदि चोरी के आरोपी पर नशीला पदार्थ लगाकर जेल भेजा तो लोक सेवक होनें के नाते उसने अपने पद का दुरपयोग किया| जिसके चलते दारोगा पर 166 की कार्यवाही भी बनती है|
पूरे मामले पर चौकी इंचार्ज बघार स्वदेश कुमार नें जेएनआई को बताया कि पुलिस जब काम करती है तो आरोप तो लगते ही हैं| आरोप पूरी तरह फर्जी है| आरोपी को तीन दिन नही बैठाया गया और ना ही रुपयों की मांग की गयी|