फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) एड्स एक ऐसी बीमारी, जिसका पुख्ता इलाज आज भी पूरी दुनिया के लिए चुनौती बना हुआ है। शोधकर्ता अभी इस बीमारी से निपटने की राह भी नहीं तलाश सके थे कि अब उनके सामने इससे भी बड़ी और खतरनाक बीमारी सामने आ गई है सिफलिस।
इसी को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में पीएचसी की स्टाफ़ नर्स और एएनएम को आनलाईन प्रशिक्षण ममता संस्था के सहयोग से दिया गया| इससे गर्भवती महिलाओं की टीकाकरण सत्रों पर एड्स और सिफलिस की जाँच करने में आसानी होगी साथ ही लोगों को इस भयानक रोग के बारे में जानकारी भी दी जाएगी |
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ० सुनील मल्होत्रा के अनुसार सिफिलिस बीमारी महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए एक जैसी ही गंभीर समस्या बनी हुई है। इससे नवजात बच्चों की मौत तक हो जाती है। साथ ही इस बीमारी की चपेट में आने से एचआईवी का खतरा भी बढ़ जाता है। साथ ही कहा कि सिफिलिस रोग में त्वचा पर पड़ने वाले छाले कई बार दर्द रहित होते हैं| दर्द रहित छालों की वजह से सिफिलिस रोग के बारे में लोग सावधानी नहीं रख पाते हैं| असुरक्षित यौन संबंध बनाने वाले लोगों में यह एड्स से भी ज्यादा तेजी से फैलता है| साथ ही कहा कि अगर मां को सिफिलिस रोग है तो होने वाले बच्चे को भी टी पैलिडम बैक्टीरिया का इंफेक्शन हो सकता है|
ममता संस्था की जिला समन्वयक ज्योति शुक्ला ने बताया कि जनपद मे वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक कुल 41 गर्भवती महिलाओं और उनके पति जिनकी संख्या 35 है में एड्स के लक्षण मिले | डॉ० राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में तैनात एचआईवी काउंसलर नीतू ने बताया कि वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक कुल 776 लोगों में एड्स के लक्षण मिले |
इस दौरान क्षय रोग विभाग से डीपीटीसी अमित कुमार, ममता संस्था से प्रोजेक्ट आफिसर वी के सचान और पीएचसी की एएनएम और स्टाफ़ नर्स मौजूद रहीं |
सिफिलिस के लक्षण
अलग-अलग स्तर पर सिफिलिस के अलग-अलग लक्षण होते हैं. प्राथमिक स्तर में सिफिलिस रोगी के शरीर में दर्द रहित छाले और चकत्ते होते हैं| दूसरे स्तर के सिफिलिस में शरीर की त्वचा में खुजली वाले, खुजली रहित चकत्ते और छाले पड़ते हैं, शरीर में दर्द और बुखार की परेशानी भी हो सकती है, कई बार सिफिलिस की बीमारी में अचानक वजन कम होने लगता है|
क्या है सिफिलिस का इलाज
सिफिलिस का इलाज पेनिसिलिन के इंजेक्शन द्वारा होता है| अलग-अलग चरण के हिसाब से पेनिसिलिन की खुराक दी जाती है| कई बार यह अधिक खतरनाक स्टेज पर होने से इलाज बहुत लंबा चलता है|