फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सीधा जेल से जुड़ा हुआ है| क्योंकि कंस की जेल में बंद देवकी और वसुदेव को मुक्त कराने के साथ ही पूरे विश्व को धर्म के मार्ग पर लाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ था| जिससे प्रतिवर्ष जेलों पर विशेष पर्व के रूप में मनाया जाने वाला त्योहार बीते कुछ वर्षो से कड़े कानूनों के चलते विस्तार रूप नही ले पा रहा है| सेन्ट्रल जेल की सजीव बंदियों की झांकी तो पूरे प्रदेश को अपनी तरफ आकर्षित करती थी| लेकिन इस वर्ष कोरोना काल नें त्योहार के उल्लास को कम कर दिया| लेकिन बंदियों के हौसले को कम नही कर सके| इस बार सैकड़ो बंदी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर वृत्त रख रहें है और अपनी बैरकों में झांकी सजा रहें है| लेकिन आम जनता के लिए जेल के दरवाजे इस बार भी बंद होंगे|
दरअसल इस बार 590 बंदी जन्माष्टमी का व्रत रख रहें है| बंदी भी भजन-कीर्तन के माध्यम कान्हा की महिमा का गुणगान कर रहे हैं। इससे जेल के अंदर इन दिनों भक्तिमय वातावरण बना हुआ है। बंदियों के व्रत के लिए जेल की तरफ से विशेष व्यवस्था की गयी है| जेल में बंदियों को झांकी सजाने के साथ ही पूजन के लिए सभी व्यवस्था की गयी है| जिससे ठीक 12 बजे काली रात में जब प्रभु का अवतार हो तो श्रद्धालु बंदी अपना पूजन पूर्ण कर सकें|
व्रत रहे बंदियों के लिए फलाहार की व्यवस्था
जिन 590 बंदियों नें जन्माष्टमी पर व्रत रखा है| उनके लिए फल, दूध, चीनी, आलू आदि की व्यवस्था की गयी है| जिसका सेवन वह पूजन और भोजन में भी करेंगे| बंदियों के भक्तिमय वातावरण से जेल की सलाखों के पीछे माहौल श्रीकृष्ण मय हो गया है|
बाहरी लोगों को झांकी देखने की अनुमति नही
इस बार भी माखन चोर के जन्मोत्सव पर सेन्ट्रल जेल के फाटक नही खुलेंगे| लिहाजा आम जनता को झांकी के दर्शन नही हो सकेंगे| सेन्ट्रल जेल के अधीक्षक एचएमएस रिजबी नें जेएनआई को बताया कि जेल में बंदियों के फलाहार की व्यवस्था की गयी है| बाहरी लोगों को इस बार भी झांकी देखने की अनुमति नही है| कोरोना महामारी के प्रोटोकाल का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है |