जेएनआई डेस्क: भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर खासा उत्साह है। कोरोना काल के बावजूद बहनों ने भाइयों को राखी बांधने के लिए विशेष तैयारी कर ली हैं, लेकिन इन सबके बीच बहनों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा। इस बार रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्ध और आयुष्मान के शुभ योग के साथ ही विष योग भी है, इसलिए ज्योतिषाचार्यों के अनुसार बताई विधि से राखी व रोचना करना शुभफल दायी होगा।
इस बार सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान योग
रक्षाबंधन पर्व पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान योग बन रहा है। तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर्व पर सुबह 9:25 तक भद्रा रहेंगी और इसके बाद ही बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकेंगी। भारतीय ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष केए दुबे पद्मेश बताते हैं कि रक्षाबंधन पर इस बार श्रवण नक्षत्र, दिन सोमवार और सर्वार्थ सिद्ध व आयुष्मान योग का सुखद संयोग है। उन्होंने कहा कि भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जा सकती है, इसीलिए तीन अगस्त को सुबह 9:25 के बाद राखी बांधने का क्रम शुरू होगा।
चूना मिश्रित हल्दी का करें तिलक
पं. केए दुबे पद्मेश ने बताया कि तीन अगस्त को पूर्णिमा रात्रि 9:29 बजे तक रहेगी। श्रवण नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7:19 बजे शुरू हो जाएंगे जो दूसरे दिन समाप्त होगा। आयुष्मान योग सुबह 6:38 बजे लग जाएगा। चूंकि इसी दिन विष योग भी है, इससे बचने के लिए बहनें राखी बांधने के बाद भाइयों को चूना मिश्रित हल्दी का तिलक लगाएं। इससे भाई के दीर्घायु की कामना पूरी होगी और सुख-समृद्धि भी आएगी।
चंद्रदेव की पूजा करें
रक्षाबंधन के दिन पूर्णिमा होती है, इसे सौम्या तिथि माना गया है। साथ ही चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होता है। इस दिन चंद्रदेव की पूजा करने से व्यक्ति का हर क्षेत्र पर आधिपत्य होता है। इसीलिए चंद्रमा की पूजा भी इस दिन अवश्य करनी चाहिए।