दो करोड़ के गबन के आरोपी लिपिक को नहीं जानते पोस्ट मास्ट जनरल

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फर्रुखाबाद, डाक विभाग में गरीब जनता के किसान विकास पत्रों के रुप में की गयी छोटी-छोटी बचत के लगभग दो करोड़ रुपये के गबन के आरोपी लिपिक को अब विभाग के आला अधिकारी भी भुला चुके है। लिपिक की पत्नी के नाम संपत्ति की कुर्की की कार्रवाई भी विभाग ने तब शुरू की जब केस ‘कालातीत’ हो चुका है। हद तो यह है कि कानपुर मंडल के अधिकारी पोस्ट मास्टर जनरल राम भरोसा भी इस विषय में कुछ नहीं जानते।
लगभग पांच वर्ष पूर्व डाक विभाग में गरीब जनता की गाढ़ी कमाई से खरीदे गये किसान विकास पत्रों का फर्जी ढंग से एक लिपिक ने लगभग दो करोड़ रुपये का भुगतान निकाल लिया और विभाग को खबर भी नहीं हुई। जब तक लोगों को भनक लगती और कार्रवाई होती करोड़पति लिपिक अपनी पत्नी के नाम पर सम्पत्ति खरीद कर पैसा सुरक्षित कर चुका था। मामला लंबा होने के कारण सीबीआई को संदर्भित कर दिया गया। विभाग ने लिपिक के नाप पर लगभग एक लाख रुपये की संपत्ति की कुर्की भी कर ली परंतु पत्नी के नाम पर खरीदी गयी समपत्ति की कुर्की का खयाल विभाग को तब आया जब मामला पांच वर्ष पूर्ण होने के बाद कालातीत हो चुका है। इसमें विभागीय अधिकारियो की मिली भगत नहीं तो लापरवाही से तो इनकार नही ही किया जा सकता। परंतु विभाग सरकारी धन का गबन करने वालों को सजा दिलाने और जनता की खून पसीने की कमाई को वापस लाने के लिये कितना सजग है कि इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि कानपुर मंडल के पोस्ट मास्टर जनरल राम भरोसा को प्रगति तो दूर प्रकरण तक से अनभिज्ञ नजर आये। जेएनआई द्वारा मामला उठये जाने पर डाक अधीक्षक एसआर पाल ने पहले तो पीएमजी को उच्च न्यायाल के स्थगन आदेश की घुट्टी पिलाने का प्रयास किय परंतु बाद में बताया विभाग इस दिशा में प्रयासरत है।


ग्रामीण बैंकिग प्रणाली से दहशत में है डाक विभाग

फर्रुखाबाद, राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा दो हजार तक की आबादी वाले ग्रामों में बैंक शाखायें खोले जाने की घोषणा के बाद से डाक विभाग के अधिकारी दहशत में है। दौरे पर आये पोस्ट मास्टर जनरल राम भरोसा ने मंगलवार को यहां नवभारत सभा भवन में जनपद फर्रुखाबाद व कन्नौज के शाखा डाकपालों की बैठक के दौरान प्रतियोगता में पिछड़ने पर विभाग के ही आस्तित्व को खतरे में बताया।
श्री भरोसा ने कहा कि अब समय आ गया है कि आपको घर घर जाकर अपनी सेवाओं के विषय में लोगों को बतायें और उनको अपने उत्पाद बेचें, तभी विभाग का आस्तित्व बचा रह सकेगा अन्यथा बैंकों की प्रतियोगिता में आप पिछड़ जायेंगे।