डायरिया से नौनिहाल को बचानें को स्तनपान रामबाण

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फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) शिशु मृत्यु दर के कारणों में डायरिया भी एक प्रमुख कारण है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को डायरिया जैसे गंभीर बीमारी से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है |
डॉ० राममनोहर लोहिया महिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. कैलाश दुल्हानी का कहना है कि छह माह से कम उम्र के बच्चों को डायरिया होने पर स्तनपान को बढ़ा देना चाहिए। अधिक से अधिक बार स्तनपान कराने से शिशु डिहाइड्रेशन से बचा रहता है और इससे डायरिया से बचाव भी होता है।
लोहिया महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ० शिबशीष उपाध्याय ने बताया ” दस्त में खून आने जैसे लक्षणों के आधार पर डायरिया की पहचान आसानी से की जा सकती है। लगातार दस्त होने से बच्चों में निर्जलीकरण की समस्या बढ़ जाती है। दस्त के कारण पानी के साथ जरूरी एल्क्ट्रोलाइट्स( सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट) का तेजी से ह्रास होता है। बच्चों में इसकी कमी को दूर करने के लिए ओआरएस का घोल एवं जिंक की गोली भी दी जाती है। इससे डायरिया के साथ डिहाइड्रेशन से भी बचाव होता है।”
डॉ० उपाध्याय ने बताया कि इस समय उनके अस्पताल में डायरिया से ग्रसित दो वर्ष से कम उम्र के लगभग 10 बच्चे रोजाना आ जाते हैं | इनको उचित इलाज और सलाह दी जा रही है |
इन लक्षणों पर माताएं रखें ध्यान –
लगातार पतली दस्त का होना -बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना -प्यास का बढ़ जाना -भूख का कम लगना या खाना नहीं खाना -दस्त के साथ हल्के बुखार का आना|
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों में 24 घंटे के दौरान तीन या उससे अधिक बार पानी जैसा दस्त आना डायरिया है, लेकिन यदि तीन या इससे अधिक बार पतली दस्त की जगह सामान्य दस्त हो तो उसे डायरिया नहीं समझा जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जिंक घोल पांच साल से कम उम्र के बच्चों में डायरिया के कारण होने वाली गंभीरता के साथ इसके अंतराल में कमी लाता है एवं 90 प्रतिशत डायरिया के मामलों में ओआरएस घोल कारगर भी होता है। डायरिया होने पर शुरूआती 4 घंटों में उम्र के मुताबिक ही ओआरएस घोल देना चाहिए।
क्या कहते हैं आंकड़े:
नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार प्रदेश में एक घंटे के अन्दर स्तनपान की दर अभी मात्र 25.2 प्रतिशत है जो की काफी कम है। छह माह तक केवल स्तनपान की दर 41.6 फीसद है जो कि अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी कम है। जनपद की बात करें तो यहाँ एक घंटे के अन्दर स्तनपान की दर अभी मात्र 22.2 प्रतिशत ही है जबकि छह माह तक केवल स्तनपान की दर 56.4 फीसद है।