फर्रुखाबाद:(कमालगंज) वर्ष में एक ही बार शेखपुर मेले के लड्डुओं का जायका अब बिगड़ने लगा है| आस्था के स्वाद में मिलाबट का तड़का लगाकर जायका बिगाड़ा जा रहा है लेकिन जिला प्रशासन का ध्यान इस तरफ नही|
शेखपुर दरगाह शरीफ पर प्रतिवर्ष आयोजित होनें वाले उर्स के मेले में बिक्री होनें वाले बेसन के सेब के लड्डू (शेखपुर मेले के तबर्रुक के लड्डू) की मांग देश के कोनें-कोंने में है| मेले में शामिल होनें वाले लोग प्रमुखता से इस लड्डू की खरीद करते है| मेलें के समय कस्बे इ बाजार से लेकर शेखपुर मेंले तक लड्डू की लगभग 3 सैकड़ा दुकानें लगती है| जिन पर प्रति दुकान 15 से 20 कुंतल लड्डू की बिक्री होती है| यंहा से कई लोग इस तबर्रुक के लड्डू को देश के कोनें-कोनें में रहने वाले अपने रिश्तेदारों के साथ ही विदेशों में भी भेजतें है|
लड्डू की लोकप्रियता सदियों से चरम पर है| लेकीन मिलाबट खोरों ने इसे भी अपना शिकार बना दिया है| मुख्यता बेसन के सेब बनाकर उसे सरसों के तेल में तलने के बाद लड्डू बनाया जाता है| लेकिन अपनी जेबें भरने के लिए मिलावट खोरों ने मक्के के आंटे और चावल की मिलवाट कर उसमे पीला रंग मिलाकर लड्डू तैयार करने का कारोबार बीते वर्षों से शुरू किया है| जो व्यापारी को तो बेहतर मुनाफा देते है लेकिन लड्डू के स्वाद को ग्रहण लगा रहे है|
(कमालगंज प्रतिनिधि मुईद खान)