कानपुर : बेहमई गांव में 39 साल पूर्व हुए सामूहिक नरसंहार कांड के फैसले की घड़ी नजदीक आ गई है। शनिवार को कोर्ट इस मामले में निर्णय सुना सकती है। इसके पहले कोर्ट ने छह जनवरी को फैसले की तिथि घोषित की थी, लेकिन बचाव पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट की नजीरें पेश करने के लिए समय मांगने के चलते फैसला टल गया था।
14 फरवरी 1981 को सिकंदरा थाना क्षेत्र के बेहमई गांव में दस्यु सुंदरी फूलन देवी, राम औतार, मुस्तकीम और लल्लू गैंग से जुड़े 35-36 लोगों ने धावा बोल दिया था। डकैतों ने लूटपाट के साथ ही 26 पुरुषों को गांव के बाहर कतारबद्ध खड़ा कर अधाधुंध फायरिंग की थी। जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि छह लोग गंभीर घायल हो गए थे। गांव के राजाराम सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने उक्त चारों सरगनाओं सहित 23 लोगों को आरोपित बनाया था, जिसमें 16 लोगों की मौत हो चुकी है।
प्रशासनिक कार्यप्रणाली व राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे कारणों के चलते घटने के 33 साल बाद 24 अगस्त 2012 को पांच आरोपितों भीखा, पोसे उर्फ पोसा, विश्वनाथ उर्फ पुतानी उर्फ कृष्ण स्वरूप, श्याम बाबू व राम सिंह के खिलाफ ट्रायल शुरू हो सका। 13 फरवरी 2019 को जिला जेल में निरुद्ध राम सिंह की मौत हो चुकी है। पोसे उर्फ पोसा जेल में है, जबकि तीन अन्य जमानत पर हैं। घटना के बाद से जालौन जिले के तीन आरोपित मान सिंह, रामकेश व विश्वनाथ उर्फ अशोक फरार चल रहे हैं।
मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय दस्यु प्रभावित कोर्ट में चल रही है। न्यायालय की ओर से छह जनवरी फैसले की तिथि घोषित की गई थी, लेकिन बचाव पक्ष के अधिवक्ता गिरीश नारायण द्विवेदी की ओर से केस से जुड़े प्रमुख बिंदुओं को लेकर नजीरें पेश करने के लिए समय मांगने पर फैसले की तिथि 18 जनवरी कर दी गई। जिला शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने बताया की बचाव पक्ष को 16 जनवरी तक का समय दिया गया था। शनिवार को फैसला आ सकता है। फैसले की घड़ी नजदीक आने पर पीडि़तों के स्वजनों में एक बार फिर न्याय की आस जगी है।