फर्रुखाबाद: सेना से सेवानिवृत कैप्टन के साथ दुर्व्यवहार करने और मकान पर जबरन कब्जा करके रह रहे पुत्र व पुत्रबधुओं को घर से बेदखल करने के आदेश एसडीएम नें किये थे| घर खाली करने के लिए एक महीने का समय भी दिया गया था| इस सम्बन्ध में कैप्टन के पुत्रों ने हाई कोर्ट की शरण ली| लेकिन हाई कोर्ट नें भी सुनवाई से इंकार कर दिया|
विदित है कोतवाली फतेहगढ़ क्षेत्र के अपर दुर्गा कालोनी निवासी कैप्टन सुरेन्द्र सिंह नें अधिवक्ता डॉ० दीपक द्विवेदी के द्वारा एसडीएम सदर के कोर्ट में मुकदमा दायर किया था| जिसके कहा था कि कैप्टन सुरेन्द्र सिंह वर्ष 1990 में सेना से सेवा निवृत हुए थे| जिसके बाद उन्होंने एक प्लाट खरीदा और उस पर भवन निर्माण भी कराया|
कैप्टन सुरेन्द्र नें बताया था कि उनके पुत्र गजेन्द्र सिंह,उनकी पत्नी गीता देवी, रवेन्द्र सिंह उनकी पत्नी उमा उनके मकान पर जबरन रह रहे है| जबकि उसकी अन्य जगह पर भी सम्पत्ति है| आये दिन घर में शराब पीकर अपमानित कर मारपीट करते है|
एसडीएम के न्यायालय के मुकदमा दायर होनें के बाद एसडीएम् सदर व कल्याण अधिकारी नें मामले की सुनवाई कर आदेश जारी किया| आदेश में उन्होने कहा कि वरिष्ठ नागरिक व माता-पिता का संरक्षण अधिनियम 2007 के कानून के तहत आरोपी दोनों पुत्रों और पुत्र बधुओं को कैप्टन सुरेन्द्र सिंह के निजी भवन से बेदखल करने के आदेश जारी किये| इसके साथ ही घर से बाहर जाने के लिए एक महीने का समय भी दिया है| यदि एक महीने में भवन खाली नही किया गया तो पुलिस उन्हें घर से बेदखल करेगी|
इस सम्बन्ध में बचाव करने के लिए एसडीएम सदर के आदेश के खिलाफ कैप्टन के पुत्र गजेन्द्र सिंह नें हाई कोर्ट की शरण ली| लेकिन कोर्ट नें मामले की सुनवाई से इंकार कर एसडीएम सदर के आदेश को कायम रखा है| अब कैप्टन के पुत्रों मकान खाली करना ही होगा| नही तो पुलिस कार्यवाही करेगी|