सहकारिता का तिलस्म-2, छोटेसिंह यादव सहित 10 निदेशक को बाहर का रास्ता, भंग होगा बैंक का बोर्ड!

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद: सहकाकरिता को निजी मिलकियत की तरह चलाने वालों पर दूसरी गाज गिर गयी है| पहले उनके घोटाले घपले पर वसूली की कार्यवाही और उसके बाद अब सभी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है| फर्रुखाबाद जिला सहकारी बैंक की 14 सदस्यीय सञ्चालन समिति में से 10 डायरेक्टर अब तक बाहर कर दिए गए है| अब कुल ४ बचे है| जिनसे न तो बैठक का कोरम पूरा हो सकता है और न ही कोई निर्णय लेने की अधिकारिता बचती है| लिहाजा जिला सहकारी बैंक का बोर्ड भंग होने के अलगे चरण का रास्ता साफ़ हो गया है| और इसी के साथ पूर्व सांसद/विधायक छोटे सिंह यादव के परिवार और उनके जेबी सहयोगियों का सहकारिता से 100 प्रतिशत बाहर होना तय हो गया है| अभी छोटे सिंह उपसभापति पद पर थे और उनकी पुत्र बधू मनोरमा यादव जिला सहकारी बैंक की वर्तमान अध्यक्ष है|

अपर आयुक्त एवं अपर निबंधक सहकारिता कानपूर मंडल विनय कुमार मिश्र के 29 अगस्त 2019 को जारी आदेश के अनुसार जिला सहकारी बैंक के उपसभापति छोटे सिंह यादव, राम दावर विद्यार्थी, राम प्रकाश कठेरिया, बी एल सक्सेना, राकेश नारायण शुक्ल, जयवीर सिंह, प्रमोद कुमार शुक्ल तत्कालीन शाखा प्रबंधक जिला सहकारी बैंक फर्रुखाबाद, रूप कुमार सक्सेना तत्कालीन सचिव जिला सहकारी संघ लि०, प्रेम सागर तत्कालीन सचिव सघन सहकारी समिति लि लोहापानी एवं श्याम सिंह तत्कालीन सचिव किसान सेवा सहकारी समिति लि० कायमगंज को जानबूझकर कर बैंक अभिलेखों में हेर फेर कर/ दबाब बनाकर, कूटरचित दस्ताबेज बनाकर सहकारी बैंक, सेवा समितियों, संस्थाओ को आर्थिक नुकसान पहुचाने का दोषी पाया गया| इन पर बैंक को हुई क्षति की पूर्ति करने के लिए आदेश पहले ही जारी कर दिए थे| अब अगले चरण में इन पर लगे आरोपों पर सहकारी संस्था अधिनियम १९६५  की धारा 68(3) के तहत कार्यवाही करते हुए उपरोक्त सभी को अगले 5 वर्ष के लिए चुनाव लड़ने, पद पर बने रहने से डिबार घोषित किया गया है| ये कार्यवाही भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री विमल कटियार की शिकायत के उपरांत हुई जाँच के बाद हुई है|

सहकारिता और एनजीओ का खेल-  एक व्यक्ति और नाम बदल कर कई जगह काबिज 

इसी के साथ महेश प्रकाश पुत्र मन्ना लाल को भी 3 सितम्बर के आदेश में जिला सहकारी बैंक की सञ्चालन समिति से चयन में हुई गड़बड़ी प्रमाणित होने पर बर्खास्त कर दिया गया है| महेश प्रकाश पुत्र मन्ना लाल सहकारिता में एक साथ ही दो नाम से प्रवेश किये हुए थे| रमेश पुत्र मन्ना लाल और महेश प्रकाश पुत्र मन्ना लाल| इस बात की शिकायत भाजपा के सहकारिता प्रकोष्ठ के जिला संयोजक अविनाश द्विवेदी की शिकायत पर सम्पन्न हुई| महेश प्रकाश का मामला वैसे ही निकला जैसे कि फर्रुखाबाद के कथित प्रायोजित शिक्षाविद कहलाने वालों के सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में उनके परिवार का एक एक सदस्य कई कई कॉलेज में चपरासी से लेकर कमिटी के अध्यक्ष पदों पर आसीन होता था| बस नाम में थोडा सा हेर फेर होता और एक ही व्यक्ति किसी स्कूल में बड़ा बाबु तो कसी स्कूल में प्रिंसिपल होता| किसी में चपरासी तो किसी में प्रबंधक होता| एक स्कूल का मालिक दूसरे अपने ही स्कूल में प्रिंसिपल होता| कमाल का गड़बड़ झाला है| कभी विस्तार से इस पर पढ़ने को मिलेगा| फिलहाल महेश प्रकाश को समझिये| शिकायत के बाद हुई जाँच के बाद प्रकाश में आया कि महेश प्रकाश और रमेश पुत्र मन्ना लाल एक ही व्यक्ति है और एक ही समय पर सहकारी संघ तिर्वा के संचालक है और साथ ही साथ जिला सहकारी बैंक फर्रुखाबाद के सञ्चालन कमिटी के सदस्य भी जो कि नियमानुसार नहीं हो सकता| मगर था बस नाम बदल कर|

फिलहाल महेश प्रकाश को भी जिला सहकारी बैंक से प्रकाशहीन कर दिया गया और इस तरह पिछले दो साल में छोटे सिंह यादव सहित एक एक कर 14 में से 10 सदस्य जिला सहकारी बैंक सञ्चालन समिति से बाहर किये जा चुके है| अब संचालन समिति में कुल 4 सदस्य बचे है जो मनोरमा यादव अध्यक्ष, शैलेन्द्र सिंह, निर्मल कटियार और कल्याण सिंह है| इस तरह अब तक  1- रहीश पाल यादव 2- ओमकार यादव 3- मुनेश्वर जाटव 4- रामप्रकाश यादव 5- अरविन्द यादव 6- प्रेमलता यादव 7- दिगंबर सिंह यादव 8- ओमप्रकाश यादव 9- छोटे सिंह 10- महेंद्र यादव हटाये जा चुके है| कोरम न रह पाने के कारण अब बोर्ड भंग होना भी तय हो गया है|