जिले में पॉलीथिन पर पाबंदी कमजोर सिर्फ बंद कमरों में शोर!

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फर्रुखाबाद:(नगर प्रतिनिधि) पॉलीथिन पर रोक का आदेश सरकार पहले ही कर चुकी है| इसके साथ ही साथ अब पूरे यूपी में यानि एक सितंबर से प्लास्टिक और उससे बने सामान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके इस्तेमाल करने पर एक लाख रुपया जुर्माना और छह महीने जेल की सजा का प्रावधान है। लेकिन पाबंदी का असर जिले में नजर नही आया| नगर में तो पॉलीथिन का ही प्रयोग मुख्य मार्गों पर बेख़ौफ़ होता दिखा| रविवार को अवकाश के चलते शायद अभियान नही चला  सोमवार से छापेमारी अभियान चलाकर कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। फिलहाल आज जिले में पॉलीथिन का प्रयोग धड़ल्ले से होता दिखा। शासन के निर्देश एवं सख्ती का असर कहीं नहीं दिखाई दिया।
प्रशासन एवं पालिका की तैयारियां महज अभिलेखों में सीमित रहीं। नतीजतन शासन की मंशा चंद छापेमारी तक सिमट गई है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की बाजारों में पॉलीथिन का प्रयोग बेरोकटोक होता रहा। उपजाऊ भूमि को बंजर बनाने वाली पॉलीथिन ही प्रदूषण का अहम कारण बनी है। बिखरे पड़े कूड़ों के ढ़ेर में पॉलीथिन ही बहुतायत संख्या में दिखाई पड़ी।
पॉलीथिन के प्रयोग से पर्यावरण दूषित हो रहा है। इससे गंदगी को भी बढ़ावा मिल रहा है। पॉलीथिन से जहां नाली-नालों के चोक होने से जलभराव की समस्या गहराती जा रही है। वहीं बीमारियों के संक्रमण बढ़ता जा रहा है। पॉलीथिन का उपयोग छोटी दुकानों से लेकर बड़े प्रतिष्ठानों पर किया जा रहा है।
फ़िलहाल अभी तक जिले में प्रशासन पॉलीथिन पर पूरी तरह पाबंदी लगा सका और ऊपर से सरकार ने 1 सितम्बर से प्लास्टिक और उससे बने सामान पर प्रतिबंध लगा दिया| अब देखना यह है कि पॉलीथिन पर तो पाबंदी अभी तक लग नही सकी| अगले आदेश को किस तरह से पालन कराया जायेगा देखने वाली बात है| वैसे शासन के आदेश है कि प्रतिबंधित प्लास्टिक बिकता पाया गया तो संबंधित क्षेत्र के थानेदार व नगर निगम के क्षेत्रीय अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
सीओ सिटी मन्नी लाल गौड़ ने जेएनआई को बताया कि पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है जल्द अभियान चलेगा और जो भी कानून का उलंघन करेगा उसके खिलाफ कार्यवाही भी होगी|