सहकारिता विभाग का टूटा तिलस्म- पहली ही जाँच में छोटे सिंह सहित 6 प्रबंधक और 3 सचिव फसे

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फर्रुखाबाद: जिस सहकारिता विभाग के सहारे समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपनी पार्टी को गाँव गाँव तक पहुचाया| परिवार के ही सदस्यों को जिलों से लेकर प्रदेश में सहकारिता विभाग का मुखिया बनाया| इटावा से लेकर फर्रुखाबाद तक और फिरोजाबाद से लेकर पूर्वांचल तक जिस सहकारिता विभाग में मुलायम और उनके करीबियों की तूती बोलती थी| और जिस सहकारिता विभाग के तहत चलने वाली जिला सहकारी बैंको में नोटबंदी के दौरान इसके कब्जेदार नेताओ और संचालको के हजारो करोड़ के नोट बदले जाने की खबर पर रिजर्व बैंक ने जिला सहकारी बैंको को नए नोट देना बंद कर दिया था| उसी सहकारिता विभाग का तिलस्म भाजपा की योगी सरकार में टूटने लगा है| समाजवादी पार्टी की सरकार के बाद भाजपा ने सरकार बनायीं तो सबसे पहले सहकारिता पर निगाह डाली| पहले कुर्सियां जानी शुरू हुई और अब फाइलें झाडी जा रही है| इस साफ़ सफाई अभियान के पहले लपेटे में दशको से सहकारिता विभाग में कब्ज़ा जमाये छोटे सिंह सहित जिला सहकारी बैंक के 6 पूर्व प्रबंधक और 2 सहकारी समितियों के सचिव आ गए है|

कहा जाता था कि छोटे सिंह का सहकारिता में फर्रुखाबाद से लखनऊ मुख्यालय तक सिक्का चलता था| सिगरेट के पैकेट के कागज की उलटी तरफ भी कुछ लिखकर दे देते थे तो सहकारिता में उसे किसी शासकीय आदेश से कम नहीं मन जाता था| संसद से लेकर प्रधानी का चुनाव लड़ चुके छोटे सिंह के आदेश किसी पत्र के रूप में कहीं नहीं मिलेगें| उनके मौखिक आदेश ही सरकारी फरमान बनते थे और इसी मौखिक आदेश की चकाचौंध में अब जिला सहकारी बैंक फर्रुखाबाद के 6 पूर्व प्रबंधक फसे है| भाजपा के महामंत्री विमल कटियार की दस्ताबेजी शिकायत की जाँच डेढ़ साल चली और निष्कर्ष में छोटे सिंह यादव बैंक से जारी कराये जाने वाले बैंकर चेक/ड्राफ्ट के कमीशन न देने आरोपी पाए गए है| करोडो के बने बैंकर चेक/ड्राफ्ट के कमीशन उनके द्वारा न अदा किये जाने पर ब्याज सहित 396002.00 रुपये बैंक में जमा करने और ऐसा न करने पर भू राजस्व की तरह वसूली किये जाने के आदेश संयुक्त आयुक्त एवं संयुक्त निबंधक सहकारिता विभाग कानपूर मंडल द्वारा जारी किये गए है|

एक आम गरीब आदमी जब बैंक में ड्राफ्ट बनबाने जाता है तो उससे मय कमीशन के पैसा जमा कराया जाता है ऐसा सभी जानते है| और नहीं करने पर बैंक भगा देती है| जिस छोटे आदमी के पैसे से बैंक चलती है उसी बैंक को बड़े छोटे सिंह अपनी निजी जेबी बैंक बनाकर चलाते रहे| ऐसा जाँच रिपोर्ट कहती है| जिस कार्यकाल के दौरान ये अनिमितता निकल कर आई है उसी कार्यकाल के दौरान बैंक में तैनात कर्मियों ने ही आरोप लगाया है कि छोटे सिंह के दबाब में सचिव ने छोटे सिंह की फर्म “जय हिन्द ट्रेडर्स” के लिए जारी होने वाली बैंकर चेक/ड्राफ्ट का कमीशन न काटने का मौखिक फरमान जारी कर रखा था| ये वही बैंक है जहाँ समाजवादी पार्टी की सरकार में सहकारिता मंत्री शिवपाल सिंह यादव का जिला सहकारी बैंक फर्रुखाबाद में बुलाकर सम्मान करते है और 5 तोले सोने की चेन और सोने का मुकुट भेट करते थे| क्यों करते थे कुछ कुछ समझ में आने लगा है| फर्म का नाम “जय हिन्द ट्रेडर्स” भी बड़ा चुनकर रखा होगा| क्या पता था कि ऐसे ही हिन्द का नाम बदनाम करेंगे नेता|

छोटे सिंह यादव का विशाल साम्राज्य यू ही नहीं बना| आजकल सीबीआई की दावत उड़ा रहे देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के गमलो में अगर करोडो की गोभी पैदा हो सकती है तो छोटे के द्वारा नवाबगंज क्षेत्र में लिए गए बंजर जमीनों में करोडो की सरसों भी पैदा होती रही| एक आढ़त की दूकान पर अनाज तौलने वाला अरबो की दौलत का मालिक बन जाए तो सलाम तो बनता ही है| गमलो में करोडो की गोभी और बंजर जमीन में 10 कुंतल प्रति बीघा की सरसों उन्ही के खेत में पैदा हो सकती है जो संसद और विधान मंडल में जाते है| गरीब के तो उपजाऊ खेत में इतनी नहीं होती| याद करो फर्रुखाबाद के चौक की वो पाटिया जिस सैकड़ो सफेदपोश नेता गरीबी उन्मूलन के भाषण झाड कर संसदों में जा पहुचे| उस पर बैठने वाला रफूगर का बेटा रफूगर ही बनता है| उसने भाषण नहीं झाड पाए| फटे हुए को सिला ही| उसके पास गरीब ही आया| पैबंद पैसे वालो को पसंद जो नहीं|

सहकारिता का तिलस्म अब टूट रहा है लपेटे में वो सभी आयेंगे जिन्होंने नेताजी की टपकी हुई लार को ही बटर मान कर ब्रेड पर लगाकर खाया था| जिनकी कलम से सब घोटाले कारनामे हुए थे| नेताजी ने तो जबाब दे दिया है कि उन्होंने कभी बैंकर चेक या ड्राफ्ट बनाने के एवज में कमीशन काटने का आदेश नहीं दिया था जबकि वे सञ्चालन समिति के सदस्य भी हुआ करते थे| अब 6 पूर्व प्रबंधको के पास मौखिक आदेश का कोई सबूत नहीं है| वे भी भुगत रहे है| उन्हें भी अपने अपने कार्यकाल में हुई छति को बैंक में जमा करने का आदेश दिया गया है| सब यहीं का यहीं है| स्वर्ग नरक सब देख कर जाना है| स्वर्णिम काल बीत चुका अब रफू करने की ही बारी है| वैसे अभी भी छोटे सिंह जिला सहकारी बैंक के उपसभापति है|

तो जाँच का पहला परिणाम आ गया है| और जो छोटे सिंह का अनुकरण करते हुए फूले नहीं समाते थे वे भी फसे है| श्याम सिंह तत्कालीन सचिव किसान सहकारी समिति लि कायमगंज और सघन सहकारी समिति लिमिटेड लोहापनी के सचिव प्रेम सागर सक्सेना| प्रेम सागर ने किसानो के लिए आई 5 लाख की खाद से प्रेम कर लिया और डकार तक न ली| इन पर गबन का आरोप सिद्ध हुआ है| इसने 589170.00 रुपये की वसूली ब्याज अलग की जानी है| तो श्याम सिंह भी कम नहीं निकले| सरकारी नौकरी में भर्ती यू ही नहीं हुआ करती थी| मगर फिर भी पैमाने तो चलते ही थे| श्याम सिंह एक कदम आगे निकले नियम विरुद्ध अपनी ही समिति के अध्यक्ष अरविन्द के पुत्र अतुल कान्त को नौकरी ही दे डाली| इन पर भी विभाग को चूना लगाने के एवज में 211000.00 रुपये मय ब्याज जमा करने का आदेश दिया गया है|