श्रमदान परम्परा को जीवित किये है नेहरु युवा केंद्र

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद: आरएसएस के मुकाबले कभी नेहरु युवा केन्द्रों को खड़ा किया गया था| युवाओ को श्रमदान के माध्यम से जनसरोकार से जुड़ना होता है| इन दिनों ये संगठन राजेपुर क्षेत्र में तालाबो के सुन्दरीकरण और वृक्षारोपण कार्य कर रहा है| ग्राम पंचायत खंडौली के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो में वृक्षारोपण और तालाबो का सुन्दरीकरण का काम किया जा रहा है|

इसमें गाँव के युवाओ को शारीरिक व्यायाम के साथ कुछ श्रमदान करना होता है| गाँव में कैंप की व्यवस्था सरकारी बजट से की जाती है और सड़क निर्माण, वृक्षारोपण और साक्षरता जैसे कार्यक्रम होते है| कैंप में संस्कृति को बनाये रखने के लिए लोकगीत और पारम्परिक नाच गाना जैसी विधाए भी होती है| राजेपुर तहसील के ग्राम पंचायत में भी लगभग दो दर्जन युवाओ ने सड़क की पटरी सही कर आने जाने का रास्ता सही किया और कटान रोकने के लिए पौधे भी रोपे|

क्या है नेहरु युवा केंद्र-

गांव के युवाओं को राष्ट्र निर्माण से जोडऩे के लिए नेहरू युवा केंद्र की स्थापना इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 1972 में की गई थी| जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो 1987-88 में इसका नाम बदलकर नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाइकेएस) रख दिया गया| इसे युवा एवं खेल मामलों के मंत्रालय के अधीन स्वायत्त संगठन का दर्जा दिया गया| युवा एवं खेल मामलों के मंत्री इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं| इस समय खेल मंत्री राज्यवर्धन अध्यक्ष हैं| मंत्रालय के सचिव के अलावा तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति संगठन के उपाध्यक्ष होते हैं|

इस समय उत्तर प्रदेश से दिनेश प्रताप सिंह, तेलंगाना से पेराला शेखर राव और असम से दिलीप सैकिया संगठन के उपाध्यक्ष हैं| संयोग से प्रतिष्ठित व्यक्ति कोटे के तीनों उपाध्यक्ष आरएसएस और भाजपा की पृष्ठभूमि से हैं| लोकसभा और राज्यसभा के कुछ सांसदों को इसका सदस्य बनाया जाता है| इसके अलावा किसी सरकारी व्यक्ति को इसका महानिदेशक बनाया जाता है| इस समय मेजर जनरल (सेवा निवृत्त) दिलावर सिंह संगठन के महानिदेशक हैं| निर्णय लेने का अधिकार बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को होता है, जबकि अनुपालन कराने का काम महानिदेशक का होता है| यहां से बनने वाली नीतियों को 29 राज्य कार्यालयों में फैले 623 नेहरू युवा केंद्रों के जरिए देश में फैले 12,000 नेशनल यूथ कोर वॉलंटियर्स 2.73 लाख यूथ क्लब और महिला मंडल के जरिए देश भर में फैलाते हैं|