अखिलेश सरकार में हुई को-ऑपरेटिव बैंक की भर्ती निरस्त, चयनित 50 सहायक प्रबंधक बर्खास्त

FARRUKHABAD NEWS

प्रयागराज: अखिलेश सरकार के दौरान यूपी को-ऑपरेटिव बैंक (यूपीसीबी) में हुई भर्ती में जमकर धांधली हुई थी। 2015 में सहायक प्रबंधक के 50 पदों पर हुई इस भर्ती में अपने करीबी व चहेतों को नौकरी देने के लिये नियम तक बदल डाले गये थे। यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद आयी योगी सरकार ने इस भर्ती में धांधली के लिये जांच कमेटी का गठन किया था और अब जांच कमेटी ने धांधली के सबूतों के साथ अपनी रिपोर्ट दे दी है। जिसमें बताया गया है कि 2015 में इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया के दौरान ही शैक्षिक योग्यता में फेरबदल कर अपने चहेतों को तैनाती दी गई थी। सरकार ने एक्शन लेते हुये इस भर्ती के तहत चयनित सहायक प्रबंधकों को बर्खास्त कर दिया है। इसके लिये बकायदा यूपीसीबी बोर्ड की बैठक में आदेश भी जारी कर दिया गया है। जिसमें बोर्ड ने तय किया है कि नियुक्त किये गये 50 सहायक प्रबंधकों को एक माह का वेतन देकर उन्हें पद मुक्त कर दिया जाएगा।
क्या है मामला-

अखिलेश सरकार के दौरान वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, (यूपीसीबी) लखनऊ में 53 पदों पर सहायक प्रबंधकों की भर्ती शुरू की गयी। इस भर्ती में अपने चहेते व नजदीकियों को नियुक्त करने के लिये जमकर खेल किया गया और मात्र 3 पदों पर ही पारदर्शिता से भर्ती पूरी की गयी। जबकि 50 पदों पर मनमाने तरीके से नियुक्तियां की गयी। इस भर्ती में धांधली को लेकर उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री जय सिंह ने शिकायत की तो भर्ती प्रक्रिया से जुडे लोगों हड़कंप मच गया। बीते साल अप्रैल 2018 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस माममले में जांच के लिये आदेश दिये तो तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने इसकी जांच तेज तर्रार आइएएस अधिकारी पीके उपाध्याय को सौंपी। जांच पूरी हुई तो यूपीसीबी के एमडी रहे रविकांत सिंह पर लगे आरोप सही पाये गये और इसी आधार पर उन्हें निलंबित कर दिया गया। जबकि भर्ती प्रक्रिया की परत दर परत खुली तो पूरी नियुक्ति ही गलत तरीके से करने की बात सामने आयी।
सभी बर्खास्त-

जांच रिपोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के मौजूदा सभापति की अध्यक्षता में बोर्ड की बैठक बुलाई गयी और उसमे जांच रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया गया कि 2015 में 53 सहायक प्रबंधकों की भर्ती में सीधे तौर पर धांधली हुई है। इसमें केवल 3 सहायक प्रबंधक (कम्प्यूटर) की भर्ती नियम पूर्वक हुई है। ऐसे में उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन जिन 50 लोगों की नियुक्ति नियमों को बदल कर और गलत तरीके से की गयी है, उन्हें बर्खास्त किया जायेगा। नियुक्त किये गये 50 सहायक प्रबंधकों को एक माह का वेतन देकर उनकी सेवा समाप्त की जायेगी।

सभी निकले करीबी-

जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में दर्शाया है कि जिन 50 पदों को लेकर धांधली की शिकायत हैं, उनमें चयनित सभी लोग या तो अधिकारियों को नजदीकी हैं या तो वह नेताओं के रिश्तेदार हैं। इन सभी को फायदा देने के लिये ही नियम तक बदले गये थे। जबकि मनमाने तरीके से इनकी भर्ती की गयी थी। फिलहाल इस भर्ती का सच अब उजागर होने के बाद एक बार फिर से अखिलेश सरकार के दौरान भर्तियों में हुई धांधली का सच बाहर आने लगा है। जिससे सपा सरकार को विरोधी दल घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोडेंगे। याद दिला दें कि उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की लगभग सभी भर्तियों में भी इसी तरह की धांधली का आरोप है। जिसकी जांच मौजूदा समय में सीबीआई कर रही है। जबकि हाल ही संपन्न हुई एलटी ग्रेड परीक्षा और मौजूदा पीसीएस मेंस परीक्षा के पेपर लीक का भी मामला सामने आया है। जिससे यूपी की भर्तियों में खेल और अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड का सच साफ नजर आ रहा है।