फर्रुखाबाद: मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में 28 मई से 9 जून तक चलने बाले “सघन दस्त नियंत्रण पखवाडे” के सम्बन्ध में एक दिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित की गयी | जिसमें पखवाड़े के पूर्व जिला एवं ब्लाक स्तर पर कार्ययोजना नीति तैयार करने, आशा द्वारा अपने गाँव में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले समस्त घरों का गृह भ्रमण एवं परिवार परामर्श, जिंक एवं ओआरएस कार्नर स्थापित किये जाने, शहरी क्षेत्रों एवं सुदूर क्षेत्रों में मोबाइल टीमों का गठन, सभी स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों, एवं वीएचएनडी सत्रों पर हाथ धोने का प्रदर्शन, पखवाड़ा मनाये जाने हेतु सामान्य गतिविधियों, प्रचार-प्रसार एवं रिपोर्टिंग आदि विन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की गयी |
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ चंद्रशेखर ने बताया कि यह कार्यक्रम 2014 से हर वर्ष गर्मियों के मौसम में चलाया जाता है क्योंकि डायरिया से होने वाली मृत्यु ज़्यादातर गर्मियों व बरसात के मौसम में होती हैं और गरीब परिवारों के बच्चे इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं। डायरिया से होने वाली मृत्यु को रोकना संभव है, इसीलिये शिशु मृत्यु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से प्रदेश भर में सघन दस्त नियंत्रण पखवाडा मनाया जाता है | उन्होंने बताया कि पखवाड़ा आरम्भ होने के पहले ओआरएस और जिंक कार्नर की व्यवस्था तथा अन्य सभी प्रकार की तैयारियां सुनिश्चित कर ली गयी है |
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ प्रभात वर्मा ने कहा कि पखवाड़े के दौरान, मुख्य गतिविधियों के तौर पर जागरूकता के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के साथ-साथ समस्त स्वास्थ्य इकाईयों पर डायरिया के केस का त्वरित उपचार, ओ.आर.एस- जिंक केन्द्रों की स्थापना तथा पांच वर्ष से छोटे बच्चों के घरों में आशा द्वारा ओ.आर.एस का वितरण किया जाएगा | खासतौर पर दस्त से पीड़ित बच्चों को ओआरएस घोल व जिंक की गोलियां देने के साथ उनके माता-पिता को स्वच्छता, पौष्टिक आहार एवं खाना खाने से पहले हाथ धोने के बारे में जागरूक किया जाएगा | साफ़ सफाई से जुड़ी गतिविधियों के बारे में जागरूकता लाना इस पखवाड़े का अभिन्न अंग है |
क्या है डायरिया ?
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कैलाश दुल्हानी बताते हैं कि लगातार पतले मोशन और उल्टी होने को दस्त या डायरिया कहते है | डायरिया वायरल व बैक्टीरियल संक्रमण के कारण तो होता ही है, परन्तु सबसे सामान्य कारण है- प्रदूषित पानी, खान-पान में गड़बड़ी और आंत में संक्रमण | डायरिया से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिसे “डिहाईड्रेशन” (निर्जलीकरण) कहते हैं | इससे शरीर में कमजोरी आ जाती है और अगर समय पर इलाज न मिले, तो पीड़ित की मृत्यु भी हो सकती है | डायरिया के लक्षण अगर किसी बच्चे में दिखाई दे, तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए | इसके अलावा उन्होंने बताया कि यदि दस्त शुरू होते ही ओआरएस का घोल व जिंक की गोली देना शुरू कर दिया जाए, तो बच्चों को दस्त के प्रभाव से काफी हद तक बचाया जा सकता है |
क्या कहते हैं आंकड़े?
एसआरएस 2016 के आंकड़ों के अनुसार यूपी में डायरिया के कारण हर साल लगभाग 25 हज़ार व हर घंटे 3 शिशुओं की मृत्यु होती हैं। डायरिया नवजात मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक है और एनएफएचएस -4 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 15 प्रतिशत बच्चे डायरिया से ग्रसित हैं। ओआरएस और जिंक की उपयोगिता मृत्यु दर को कम कर सकती हैं। लेकिन यूपी में इसकी उपयोग की दर कम है। हालांकि शिशु मृत्यु दर में कमी आना एक उत्साहवर्धक संकेत हैं लेकिन डायरिया से होने वाली मृत्युओं का अनुपात अभी भी अधिक है|
इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दलवीर, डॉ राजीव, उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई से आशुतोष, सूरज सभी ब्लॉक के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी बीपीएम आदि मौजूद रहे |