नई दिल्ली/ लखनऊ: आम चुनाव 2019 के आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के बाद मीडिया में अलग-अलग सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल्स आ गए। इससे आधिकारिक नतीजों से पहले ही देश का मूड और हवा का रुख भांपने में मदद मिलती है।
चुनाव परिणाम आने तक एग्जिट पोल्स के नतीजे सियासी चर्चाओं के केंद्र में रहते हैं। जानिए- अलग-अलग एजेंसियों के सर्वे में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में किस दल को कितनी सीटें मिल रही है। टाइम्स नाउ-वीएमआर के मुताबिक, भाजपा को 80 में से 58 सीटें मिल सकती हैं। सपा-बसपा गठबंधन को 20 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस को महज दो सीट मिलती दिख रही है। वहीं न्यूज 24X7 के अनुसार, भाजपा को 51 सीटें और सपा-बसपा को 26 सीटें मिल सकती हैं। यहां भी कांग्रेस को सिर्फ तीन सीट बताई गई है। एबीपी न्यूज-नील्सन के अनुसार भाजपा को भारी नुकसान हो रहा है। गठबंधन को 56 और कांग्रेस को दो सीट मिल सकती है। सुदर्शन न्यूज के एग्जिट पोल के मुताबिक, भाजपा को 52 सीट मिल सकती है। सपा-बसपा के खाते में 26 सीट जा सकती है।
एबीपी के सर्वे के अनुसार अवध क्षेत्र की 23 सीटों में भाजपा गठबंधन को 7 सीटें, सपा बसपा गठबंधन को 14 सीटें तथा कांग्रेस को 2 सीटें मिल रही है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के 27 सीटों में भाजपा गठबंधन को 6, सपा बसपा को 21 तथा कांग्रेस को 2 सीटें मिल रही है। बुंदेलखंड की 4 सीटों पर भाजपा गठबंधन को 1 तथा सपा बसपा गठबंधन को तीन सीटें मिल रही है। वहीं पूर्वांचल में 26 सीटों पर भाजपा गठबंधन को 8 सीटें, सपा बसपा व लोकदल को 18 सीटें तथा कांग्रेस को 0 सीटें मिल रही है।
टाइम्स नाउ-वीएमआर के सर्वे में यूपी में भाजपा गठबंधन को 58 सीटें, कांग्रेस को 2 तथा सपा+बसपा+ रालोद गठबंधन को 20 सीटें मिलती दिख रही है। भले ही टाइम्स नाउ-वीएमआर सर्वे में महागठबंधन को महज 29 सीटें मिल रही हैं, लेकिन सी-वोटर सर्वे में उसे 40 सीटें मिलने की उम्मीद है। भाजपा को सी वोटर सर्वे में भी बहुत नुकसान होता नहीं दिख रहा है और उसे 38 सीटें मिलने का अनुमान है। हालांकि कांग्रेस को सी-वोटर के सर्वे में भी झटका लगता दिख रहा है। उसे महज 2 सीटें मिलने का ही अनुमान जताया गया है।
भाजपा + | कांग्रेस+ | सपा+ बसपा+रालोद | अन्य | |
आज तक एक्सीस | ||||
एबीपी न्यूज नील्सन | 22 | 2 | 5 | 0 |
सी वोटर | 38 | 2 | 40 | 0 |
टाइम्स नाउ-वीएमआर | 58 | 2 | 20 | 0 |
न्यूज 24X7 | 51 | 3 | 26 | 0 |
एग्जिट पोल में देश में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य यूपी (80 सीट) पर देश की नजर है। 2014 में भाजपा ने यहां बंपर सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार मुकाबला पूरी तरह अलग रहा। सपा और बसपा ने हाथ मिलाते हुए महागठबंधन बना लिया, वहीं कांग्रेस भी अपने दम पर चुनाव लड़ी। कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को आधिकारिकतौर पर राजनीति में उतार दिया और पश्चिम यूपी की कमाई सौंप दी। चुनाव प्रचार के दौरान यूपी के नेताओं के नई विवादित बयान दिए, जिनके चलते योगी आदित्यनाथ के साथ ही मायावती और आजम खान के चुनाव प्रचार पाबंदी लगी।
यूपी की वीआईपी सीटों में लखनऊ सीट भी शामिल है, जहां से केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह मैदान में हैं। सपा ने उनके खिलाफ शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम को उतारा है। वहीं कांग्रेस ने प्रमोद कृष्णन को टिकट दिया है। इसी तरह वाराणसी (नरेंद्र मोदी), अमेठी (राहुल गांधी बनाम स्मृति ईरानी), रायबरेली (सोनिया गांधी), मैनपुरी (मुलायम सिंह), आजमगढ़ (अखिलेश यादव बनाम निरहुआ), रामपुर (आजम खान बनाम जया प्रदा), गोरखपुर (रवि किशन), कन्नौज (डिंपल यादव) यूपी की वीआईपी सीटों में शामिल हैं।
2014 का नतीजा: 2014 की मोदी लहर में भाजपा को 80 में से 73 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस को सिर्फ दो (अमेठी और रायबरेली) में जीत मिली थी। सपा को 5 सीटों से संतोष करना पड़ा था, वहीं मायावती की पार्टी का तो खाता भी नहीं खुला था।
आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर एग्जिट पोल क्या होते हैं। लगभग सभी बड़े चैनल्स और एजेंसियां मिलकर आखिरी चरण के मतदान खत्म होने के बाद एग्जिट पोल दिखाती हैं। इसमें बताया जाता है कि नतीजे किसके पक्ष में होंगे और किस पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं। हालांकि जरूरी नहीं है कि परिणाम भी एग्जिट पोल के मुताबिक ही आएं क्योंकि यह सर्वे पर आधारित होता है और सर्वे शत प्रतिशत सही हों, इसकी गारंटी नहीं होती।
आइए हम आपको बताते हैं कि एग्जिट पोल कराने का तरीका क्या होता है। दरअसल एजेंसियां वोट डालने के तुरंत बाद वोटर्स की राय जानती हैं और उसी के आधार पर नतीजे तैयार किए जाते हैं। हालांकि यह सही रूप से पता कर पाना बड़ा मुश्किल होता है। वहीं वोटिंग से पहले वोटर्स की राय जानकर जो अनुमान लगाए जातें हैं उन्हें ओपिनियन पोल कहते हैं।