सूरत:गुजरात के सूरत स्थित आश्रम में दो बहनों से दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत ने मंगलवार को आसाराम के बेटे नारायण साईं को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही, एक लाख रुपये का जुर्माना भी किया है। नारायण के चार साथियों को भी सजा सुनाई गई है।मामला 11 साल पुराना है। शुक्रवार को ही अदालत ने नारायण साईं को दोषी करार दिया था। सूरत सत्र अदालत ने आसाराम के बेटे नारायण को 2013 के दुष्कर्म मामले में दोषी करार दिया था। 2013 से ही लाजपोर जेल में बंद 47 वर्षीय नारायण के अलावा दो महिलाओं सहित उसके चार सहयोगियों को विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था। नारायण को आइपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक भय) और 120-बी (साजिश) के तहत दोषी करार दिया गया था।
साईं की सहयोगी धर्मिष्ठा उर्फ गंगा, भावना उर्फ जमुना और पवन उर्फ हनुमान को साजिश का हिस्सेदार होने का दोषी पाया गया है। नारायण साईं के ड्राइवर राजकुमार उर्फ रमेश मल्होत्रा को आइपीसी की धारा 212 (अपराध रचने) का दोषी ठहराया गया है। साधिका कही जाने वाली गंगा और जमुना को पीड़िता को गैरकानूनी रूप से बंधक बनाने और साई के कहने पर पिटाई करने का दोषी पाया गया है। दोनों पर पीड़िता को साई के साथ संबंध बनाने के लिए ब्रेनवाश करने का भी आरोप है।
सूरत पुलिस ने 2014 में साई के खिलाफ 1100 पृष्ठों का आरोपपत्र दायर किया था। 2013 में राजस्थान में एक लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोप में आसाराम की गिरफ्तारी के बाद सूरत की निवासी दो बहनों ने आसाराम और उसके बेटे पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। बड़ी बहन ने आसाराम पर 1997 से 2006 के बीच यौन हमला करने का आरोप लगाया। उस दौरान वह अहमदाबाद में आसाराम के आश्रम में रहती थी। छोटी बहन ने साईं पर 2002 से 2005 के बीच यौन हमले करने का आरोप लगाया। उस दौरान वह आसाराम के सूरत के जहांगीरपुरा क्षेत्र में स्थित आश्रम में रहती थी।
रिश्वत देने की कोशिश का हुआ था पर्दाफाशसाईं के जेल में रहने के दौरान सूरत पुलिस ने पुलिस अधिकारियों, डॉक्टरों और यहां तक कि न्यायिक अधिकारियों को रिश्वत देने की साजिश का पर्दाफाश करने का दावा किया था। उसने अपने खिलाफ मामला कमजोर करने की साजिश रची थी।
जोधपुर दुष्कर्म मामले में आसाराम को हो चुकी है सजा
आसाराम को जोधपुर की अदालत दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहरा चुकी है। सूरत की महिला की ओर से दर्ज कराए गए मामले की सुनवाई गांधीनगर कोर्ट में चली।
तीन गवाह मारे गए
आसाराम और उसके बेटे की गिरफ्तारी के बाद महत्वपूर्ण गवाहों पर हमले शुरू हो गए। करीबी सहयोगी रह चुके तीन गवाहों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी । राजकोट के आयुर्वेदिक डॉक्टर अमृत प्रजापति को उनकी क्लीनिक के बाहर गोली मारी गई। आसाराम का सहयोगी एक रसोइये अखिल गुप्ता की उनके गृह नगर मुजफ्फरनगर में गोली मारकर हत्या की गई। जोधपुर दुष्कर्म मामले के गवाह कृपाल सिंह की उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में गोली मारकर हत्या की गई। नारायण की पत्नी ने भी लगाए थे आरोप
नारायण साईं की पत्नी जानकी ने भी अपने पति और ससुर आसाराम पर प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। उन्होंने इंदौर के खजराना पुलिस थाने में 19 सितंबर, 2015 को शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा था कि 22 मई 1997 को उसकी शादी नारायण हरपलानी (नारायण साईं का असली नाम) से हुई थी। इसके बाद नारायण ने उसके सामने ही कई महिलाओं से नाजायज संबंध कायम किए, जिससे उसे मानसिक प्रताड़ना सहना पड़ी। साथ ही, उसे पत्नी मानने से भी इंकार कर दिया था।
नाबालिग से दुष्कर्म के केस में आसाराम को 2013 में इंदौर के आश्रम से गिरफ्तार किया गया था। जानकी ने आरोप लगाया था कि मेरे पति ने हमेशा धर्म के नाम पर ढोंग किया है। नारायण ने अपने आश्रम की एक साधिका से अवैध संबंध बनाए, जब यह साधिका गर्भवती हो गई तो उसने मुझसे कहा कि वह दूसरी शादी करना चाहता है। जानकी ने आरोप लगाया था कि नारायण साईं ने उससे तलाक लिए बगैर ही उस साधिका से राजस्थान में शादी कर ली और उस महिला से नारायण की एक संतान भी है।