श्रंगीरामपुर में शिवरात्रि पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

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फर्रुखाबाद: भगवान शिव को स्वयंभू और अजन्मा माना जाता है। महाशिवरात्रि ऐसे ही अनादि, अनंत ईश्वर शिव के ज्योर्तिलिंङ्ग रूप में प्रगट होने का उत्सव है।  शास्त्रों के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की अर्द्घरात्रि को ज्योर्तिलिंङ्ग प्रकट हुआ था। इसलिए यह महाशिवरात्रि मानी जाती है। वहीं दूसरी मान्यताओं में इस दिन शिव-पार्वती का विवाह उत्सव भी मनाया जाता है।

हमारे तीर्थ स्थानों में एक तीर्थ स्थान है फर्रुखाबाद जिले के कमालगंज के पास गंगा के किनारे स्थित श्रंगी ऋषी का आश्रम| यहाँ  के लोगों का मनान है कि श्रंगी ऋषी के नाम से ही श्रंगीरामपुर का नाम पडा है| यहाँ शिवरात्रि पर हजारों की संख्या में भारत के कोने-कोने मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, ग्वालियर, व यूपी से इटावा, मैनपुरी, शिकोहाबाद, टूंडला आदि श्रद्धालु आकर गंगा स्नान करते हैं| स्नान करने के तत्पश्चात मोक्ष दायनी गंगा का पवित्र जल को ले जाते हैं और भगवान् भोलेनाथ को अर्पित करने के लिए श्रद्धालु गोला आदि तीर्थ स्थानों के लिए भी निकल पड़ते हैं|

ऋषी श्रंगी के पुजारी सूरज प्रसाद का मानना है कि जो श्रद्धालु बिना छल,कपट, व द्वेष के गंगा स्नान करते है उनके सारे पाप माँ गंगा नष्ट कर देती है| और शिव जी प्रसन्न होते ही| यह मेला तीन दिन चलता है| यहाँ श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस व खान-पान के लिए सभी सुबिधायें उपलब्ध हैं|

इनमें भगवान शिव के स्वरूप का चिन्तन मन से,  मंत्र और जप वचन से और पूजा विधान शरीर से सेवा मानी गई है। इन तीनों तरीकों से की जाने वाली सेवा ही शिव धर्म कहलाती है।

इस शिव धर्म या शिव की सेवा के भी पांच रूप है। यह हैं –

कर्म – लिंगपूजा सहित अन्य शिव पूजन परंपरा कर्म कहलाते हैं।

तप – चान्द्रायण व्रत सहित अन्य शिव व्रत विधान तप कहलाते हैं।

जप – शब्द, मन आदि द्वारा शिव मंत्र का अभ्यास या दोहराव जप कहलाता है।

ध्यान – शिव के रूप में लीन होना या चिन्तन करना ध्यान कहलाता है।

ज्ञान – भगवान शिव की स्तुति, महिमा और शक्ति बताने वाले शास्त्रों की शिक्षा ज्ञान कही जाती है।

इस तरह शिव धर्म का पालन या शिव की सेवा हर शिव भक्त को बुरे कर्मों, विचारों व इच्छाओं से दूर कर शांति और सुख की ओर ले जाती है।