कुशीनगर:कुशीनगर में आज एक लड़ाकू विमान गिर गया। विमान के गिरने से उसमें आग लग गई और देखते ही देखते विमान खाक में बदल गया।विमान नियमित अभ्यास पर था।
कुशीनगर जिले के कसया थानाक्षेत्र के गांव हेतिमपुर में सोमवार को दोपहर भारतीय वायु सेना का एक लड़ाकू विमान मिग-21 नियमित परीक्षण उड़ान के वक्त क्रैश हो गया। घटना में विमान में सवार पायलट की जान बच गई। उड़ान भरने के 10 मिनट बाद ही विमान का संपर्क एयरबेस से संपर्क टूट गया था। सुपर सोनिक विमान जगुआर उड़ान भरने के तुरंत बाद क्रैश हो गया। जगुआर ने गोरखपुर एयरबेस से उड़ान भरी थी, प्लेन क्रैश होने से पहले ही पायलट ने सूझ-बूझ से अपनी जान बचा ली। क्रैश होने से ठीक पहले पायलट विमान से बाहर निकलने में कामयाब रहा। पायलट ने समझदारी का परिचय दिया और विमान आबादी वाले इलाके में क्रैश ना होकर खेतों में जा गिरा, जिससे आमजन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। पायलट विंग कमांडर कटोच विमान के जमीन पर गिरने के पूर्व ही पैराशूट के सहारे कूद गए। मौके पर वायु सेना व प्रशासन के आला अधिकारी पहुंच गए। घायल पायलट को इलाज के लिये ले जाया गया है।
वायुसेना की ओर से इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश जारी किया गया है। हादसे के बाद वायुसेना की ओर से सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है, इस ऑपरेशन में दो हेलिकॉप्टरों को लगाया गया है।विमान क्रैश होने की घटना कुशीनगर जिले के हेतिमपुर भैसहा सदर टोला में हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जमीन पर गिरने के पूर्व ही विमान में विस्फोट के साथ आग लग गई। वायुसेना के गोरखपुर स्टेशन से एक साथ तीन विमान परीक्षण उड़ान पर निकले थे। साथ के दोनों विमान के पायलट आसमान से ही घटना की निगरानी किये। मौके पर वायुसेना के एक हेलीकाप्टर(एयर एम्बुलेंस) से सहायता दल मौके पर पहुंच गया। तेज हवाओं के साथ आग ने चंद मिनट में ही विमान को खाक में बदल दिया। सिंगल सीटर विमान का पायलट पैराशूट की मदद से कूदने में सफल रहा है।
इस हादसे में पायलट पैराशूट की मदद से सुरक्षित नीचे उतर गया। घायल पायलट को हेलीकाप्टर से इलाज के लिए वायु सेना स्टेशन गोरखपुर ले जाया गया है। घटना की जानकारी होते ही डीएम अनिल कुमार सिंह और एसपी राजीव मिश्र, फायर ब्रिगेड और चिकित्सा दल लेकर मौके पर पहुंच गए और बचाव कार्य में सेना की सहायता में जुटे।डीएम अनिल कुमार सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि पायलट ने साहस का परिचय देते हुए आबादी से बाहर लाकर विमान को नदी किनारे खेत में गिराया और विमान गिरने के स्थान से 150 मीटर दूर पैराशूट से उतर गया। पायलट सुरक्षित है। उसका इलाज वायुसेना गोरखपुर में चल रहा है। यह विमान भारतीय वायुसेना में काफी समय से शामिल रहा है।
विमान नीचे उड़ते हुए दुश्मनों पर हमला करने में सक्षम है। वायुसेना ने हादसे की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दे दिया है। इससे पहले पिछले साल 20 मार्च 2018 को भी एक वायुसेना का एक लड़ाकू विमान हादसे का शिकार हो गया था। इस हादसे में पायलट अरविंद कुमार ने विमान में आई गड़बड़ी को देख पहले उसका रुख नदी की तरफ कर दिया था और पैराशूट लेकर छलांग लगा दी। इसके बाद पायलट स्वर्णरेखा नदी के बालू में गिर गए थे, जिससे उन्हें चोट लगी।