फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला)पथरी से आधुनिक युग में बहुत से लोग परेशान हैं | पथरी आजकल गुर्दों की सामान्य बीमारी हो चली है | खान पान की गलत आदतों और भोजन बनाते समय साफ़ सफाई का ध्यान नहीं रखने के कारण होती है | आज हम जानेंगे गुर्दे की पथरी के साथ ही अन्य प्रकार की पथरी के बारे में नगर के प्रसिद्ध सर्जन डॉ० जितेन्द्र कटियार से जेएनआई के हैलो डाक्टर कार्यक्रम के तहत गुर्दे की पथरी से सम्बन्धित बीमारी,बचाव और लक्षणों के बारे में विस्तार से बात की| जिसमे हमने प्रयास किया की हमारे पाठकों को पूरा लाभ और जानकारी मिल सके|
वरिष्ठ सर्जन डॉ० जितेन्द्र कटियार ने बताया कि गुर्दे में जब खनिज पदार्थ जैसे कैल्शियम और नमक आपस में संपर्क में आते हैं तो छोटे छोटे पत्थरनुमा दानों अथवा कणों का निर्माण होता है | इन दानों को ही पथरी कहते हैं | ये दाने कई बार रेत कण जितने छोटे होते हैं और कई बार इनका आकार बढ़कर 8 -10 एमएम और इससे भी बड़ा हो जाता है | छोटे आकार के होने पर ये कण (छोटी पथरी ) मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जातें हैं | लेकिन बड़े आकार के होने पर ये गुर्दे में फंसे रहते हैं | इनके कारण पीड़ित व्यक्ति को बहुत कष्ट होता है|
गुर्दे की पथरी से पीड़ित व्यक्ति को मूत्र त्याग करते समय काफी दर्द का सामना करना पड़ता है | पथरी के कण मूत्र त्याग में बाधा उत्पन्न करते हैं | कई बार इनके कारण मरीज मूत्र त्याग नहीं कर पाता और इस कारण उसे असहनीय दर्द होता है | गुर्दे की पथरी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है |
गुर्दे की पथरी कितने प्रकार की होती है?
डॉ० जितेन्द्र कटियार ने बताया कि गुर्दे की पथरी तीन प्रकार की होती है| जो आदमी को काफी तकलीफ देती है|
कैल्शियम स्टोन : यह सबसे अधिक होने वाली गुर्दे की पथरी है | यह कैल्शियम फॉस्फेट, कैल्शियम ऑक्सलेट से इत्यादि से बनी होती है |
यूरिक एसिड स्टोन : यह उन लोगों को ज्यादा होती है जिनके मूत्र में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है | यह पुरुषों में अधिक होती है | गाउट से परेशान और कीमोथेरपी लेने वाले रोगियों में यह समस्या पायी जाती है |
स्ट्रूवाइट : यह मूत्र पथ के संक्रमण से ग्रस्त महिलाओं में पायी जाती है | इस स्टोन का आकार काफी बड़ा हो सकता है |
गुर्दे की पथरी के मुख्य कारण क्या है?
1 जिन लोगों के शरीर में और मूत्र में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है उनको गुर्दे की पथरी का खतरा अधिक होता है | ऐसे लोगों के शरीर में कैल्शियम ठीक से पांच नहीं पाता और धीरे धीरे पथरी का रूप ले लेता है |
2 मूत्र में जब पथरी का निर्माण करने वाले पदार्थो जैसे कैल्शियम ऑक्सलेट और यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है तो गुर्दे इनको शरीर से बाहर नहीं निकाल पाते और ये पदार्थ गुर्दों में ही एकत्रित होते रहते हैं और धीरे धीरे पथरी का निर्माण कर लेता हैं |
3 पानी का सेवन काम करने के कारण भी पथरी हो सकती है | इसके कारण मूत्र का गाढ़ापन बढ़ जाता है |
4 आनुवांशिकता : कई बार आनुवंशिकता के कारण कुछ लोगो में कुछ विशिष्ट रसायनों कैसे यूरिक एसिड, ओक्सलेट को पचाने की क्षमता कम होती है जिस कारण गुर्दे की पथरी की संभावना बढ़ जाती है |
5 कुछ दवाइयां जो ब्लड में कैल्शियम का स्तर बढ़ा देती है उनके कारण भी पथरी हो सकती है |
6 कुछ व्यक्तियों में पुरानी बीमारियां जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस गुर्दे की पथरी का कारण बनती हैं |
7 फास्ट फ़ूड अधिक खाने से तैलीय खाना खाने से गुर्दे की पथरी का मुख्य कारण भी है|
गुर्दे की पथरी के मुख्य लक्षण क्या है?
गुर्दे की पथरी में छोटी पथरियां अपने आप मूत्र मार्ग से शरीर से बाहर निकल जाती हैं | जिनका पता भी कई बार नहीं लगता | लेकिन पथरी बड़े आकार की होने पर वह गुर्दे में ही फंसी रहती है और दर्द करती है |
1 दर्द होना : पथरी का दर्द रात में सुबह अधिक होता है | यह दर्द पीठ की तरफ से शुरू होकर आगे पेट की और बढ़ता है और फिर यह जांघों की तरह चला जाता है | यह दर्द लगातार कई देर तक हो सकता है अथवा कुछ मिनट के बाद रुक सकता है और लौटकर फिर आ सकता है |
2 बार बार मूत्र त्याग की इच्छा होना और मूत्र का रुक रुक कर आना गुर्दे की पथरी का लक्षण है |
3 मूत्र त्याग करते समय दर्द होना, जलन होना और मूत्र से बदबू आना |
4 मूत्र के साथ रक्त का आना और कई बार मवाद का आना गुर्दे की पथरी का लक्षण है |
5 गुर्दे की पथरी में मूत्र के साथ रक्त आने के कारण मूत्र का रंग धुंधला, गुलाबी, लाल अथवा भूरा हो सकता है |
6 ठण्ड लगना, बुखार होना |
7 जी मिचलाना, उल्टी होना |
8 मूत्र त्याग में दिक्कत होना |
9 असहनीय दर्द होना जिस कारण व्यक्ति न आराम से लेट सके, न बैठ सके और न खड़े रह सके |
गुर्दे की पथरी से बचाव क्या-क्या है?
1 शरीर के लिये पर्याप्त पानी का सेवन करें |
2 नींबू पानी और संतरे के रस का सेवन करें | इनमे मौजूद सिट्रिक एसिड कैल्शियम से बनने वाली पथरी को रोकता है |
3 अपनी उम्र के अनुसार कैल्शियम युक्त पदार्थों का सेवन करें | कम कैल्शियम होने पर शरीर में ऑक्सलेट का स्तर बढ़ जाता है जो गुर्दे की पथरी का कारण बनता है |
4 भोजन में सोडियम की मात्रा कम करें | अधिक सोडियम आपके मूत्र में कैल्शियम की मात्रा बढ़ा देता है | जिसके कारण पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है |
5 अंडा, मांस,शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ा देतें हैं | इसलिए इनका सेवन नहीं करें |
6 गुर्दे की पथरी होने पर चाय, कॉफी, पालक, कोल्ड ड्रिंक्स, चॉकलेट का सेवन बंद कर दें | इनमे ऑक्सलेट और फोस्फेट होता है |
7 तनाव से दूर रहें और योग करें |
8 भोजन में साबुत अनाज और रेशेदार पदार्थों को शामिल करें |
डॉ० जितेन्द्र कटियार ने बताया की नियमित व्यायाम के साथ ही साथ साफ़ और शुद्ध भोजन करना ही हम सभी को इस बीमारी से बचाव करने में रामबाण है| बाजार में हर जगह मिलाबट युक्त खाद्य सामग्री बिक्री होती है| इसके साथ ही नियमित व्यायाम करें| पानी सर्दी के मौसम में भी तकरीबन डेढ़ लीटर प्रतिदिन पिये| छोटे बच्चों को भी प्रतिदिन तकरीबन एक घंटे दौड़भाग बाले खेल खिलाये| जेएनआई प्रतिएक बुधवार को हैलो डाक्टर के माध्यम से एक नये डाक्टर से बीमारी के बारे में बचाव सुझाव और जानकारी लेकर आ रहा है|
(सहयोग:-प्रमोद द्विवेदी नगर प्रतिनिधि)