भाजपा विरोधी पार्टियां दिल्ली में जुटेंगी,सरकार को घेरने की रणनीति

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अमरावती:भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ महागठबंधन की रूपरेखा तय करने के लिए विपक्षी पार्टियां 22 नवंबर को दिल्ली में जुटेंगी।
महागठबंधन की कवायद में जुटे तेलुगु देसम पार्टी के अध्यक्ष व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत के साथ मुलाकात के बाद प्रेस को यह जानकारी दी। गहलोत उनके पास कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दूत के रूप में आए थे।नायडू ने कहा कि वे 19 या 20 नवंबर को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलेंगे। उन्होंने दावा किया, ‘महागठबंधन भाजपा विरोधी बड़ा प्लेटफार्म होगा। यह देशहित में होगा। इसका उद्देश्य लोकतंत्र, राष्ट्र और राष्ट्रीय संस्थाओं की रक्षा करना होगा। यही हमारा राष्ट्रीय एजेंडा है।’
तेदेपा प्रमुख हाल में राहुल गांधी, शरद पवार, फारुख अब्दुल्ला, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन के साथ भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने के मुद्दे पर मिल चुके हैं।विधानसभा चुनावः MP-CG में संकल्प, शपथ और वचन पत्र के नए चुनावी ब्रांड के साथ उतरी पार्टियां
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नायडू ने कहा, ‘अब तक मैं लगभग सबसे मिल चुका हूं। सबको आश्वस्त कर चुका हूं। कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। उस पर ज्यादा जिम्मेदारी है। हमें इसे स्वीकार करना होगा। नई दिल्ली की बैठक महागठबंधन की रूपरेखा तय करेगी। अब दो ही प्लेटफार्म हैं। राजनीतिक दलों को तय करना होगा कि वे किस तरफ हैं। अभी कुछ दल हमारे साथ हैं। कुछ विधानसभा चुनावों के बाद आ जाएंगे और कुछ लोकसभा चुनाव के बाद शामिल होंगे। सीटों का बंटवारा बाद में किया जाएगा।’
इस दौरान गहलोत ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, ‘संस्थानों को बर्बाद और संविधान को कमजोर किया जा रहा है। जनता भयभीत है। पिछले चार साल में कोई भी समुदाय केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से खुश नहीं है। भाजपा विरोधी महागठबंधन के लिए यह सही समय है।’
भाकपा ने अधिक सीटें मांगी
तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल दलों की सीट बंटवारे के मुद्दे पर शनिवार को बैठक हुई। इसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने और सीटों की मांग की। महागठबंधन में कांग्रेस, तेलुगु देसम पार्टी, भाकपा व तेलंगाना जन समिति शामिल हैं।कांग्रेस द्वारा दिए गए सिर्फ तीन सीटों के प्रस्ताव से असंतुष्ट भाकपा ने उम्मीद जताई कि सीट बढ़ाने की उसकी मांग पर विचार किया जाएगा। पार्टी पांच सीटें मांग रही है।