नई दिल्ली:नरेंद्र मोदी आज 49वीं बार ‘मन की बात’ कर रहे हैं। इस कार्यक्रम का प्रसारण आकाशवाणी और दूरदर्शन पर सुबह 11 बजे से किया जा रहा है। बता दें कि पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम का पहला प्रसारण 3 अक्तूबर 2014 को किया था। वो इस कार्यक्रम के जरिए देश के नागरिकों को संबोधित करते हैं और विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं और लोगों से मिले सुझावों के बारे में देशवासियों को बताते हैं।
प्रधानमंत्री ने अपनी मन की बात का समापन सभी देशवासियों को धनतेरस, दीपावली, भैय्या-दूज, छठ- इन सभी त्योहारों की शुभकामनाएं देते हुए किया और साथ ही अपने स्वास्थ्य और समाज के हितों का ध्यान रखने का आग्रह किया।
पिछले 100 वर्षों में शान्ति की परिभाषा बदल गई है, आज शान्ति और सौहार्द का मतलब सिर्फ युद्ध का न होना नहीं है। आतंकवाद से लेकर जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास से लेकर सामाजिक न्याय, इन सबके लिए वैश्विक सहयोग और समन्वय के साथ काम करने की आवश्यकता है। जब कभी भी विश्व शान्ति की बात होती है तो इसको लेकर भारत का नाम और योगदान स्वर्ण अक्षरों में अंकित दीखता है। भारत के लिए इस वर्ष 11 नवम्बर का विशेष महत्व है क्योंकि 11 नवम्बर को आज से 100 वर्ष पूर्व प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ।’ भारत के लिए प्रथम विश्व युद्ध एक महत्वपूर्ण घटना थी. हमारा उस युद्ध से सीधा कोई लेना-देना नहीं था, इसके बावजूद भी हमारे सैनिक बहादुरी से लड़े और सर्वोच्य बलिदान दिया। उन्होंने दुनिया को दिखाया कि जब युद्ध की बात आती है तो वह किसी से पीछे नहीं हैं।
जिस तरह बूंद-बूंद से सागर बनता है, उसी तरह छोटी-छोटी जागरुक और सक्रियता और सकारात्मक कार्य हमेशा सकारात्मक माहौल बनाने में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है।’मैंने पंजाब के एक गांव कल्लर माजरा के बारे में पढ़ा जो नाभा के पास है। कल्लर माजरा इसलिए चर्चित हुआ है क्योंकि वहां के लोग धान की पराली जलाने की बजाय उसे जोतकर उसी मिट्टी में मिला।
पंजाब के किसान भाई गुरबचन सिंह जी एक सामान्य और परिश्रमी किसान हैं। प्रधानमंत्री ने उनके बेटे की शादी में लड़की के परिवार से खेत में पराली न जलाने का वचन लेने की बात को अत्यंत सराहा और कहा श्रीमान गुरबचन सिंह जी के परिवार ने पर्यावरण को बचाने की एक मिसाल हमारे सामने दी है। हमारे सबसे पहले स्वतंत्र सेनानियों में आदिवासी समुदाय के लोग ही थे। भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने अपनी वन्य भूमि की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ कड़ा संघर्ष किया, उनको हम आज भी याद करते हैं।प्रधानमंत्री ने पुडुचेरी के श्री मनीष महापात्र की बहुत ही रोचक टिप्पणी ‘कृपया आप इस बारें में बात कीजिये कि कैसे भारत की जनजातियाँ उनके रीति-रिवाज और परंपराएं प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं’ पर प्रकाश डालते हुए कहा।
‘एक युवा ने दिव्यांगों की wheelchair basketball team की मदद के लिए खुद wheelchair basketball सीखा। ये जो जज़्बा है, ये जो समर्पण है- ये mission mode activity है। ‘मैं नहीं हम’ की ये भावना हम सब को प्रेरित करेग।’IT to Society, मैं नहीं हम, अहम् नहीं वयम्, स्व से समष्टि की यात्रा की इसमें महक है। कोई बच्चों और बुज़ुर्गों को पढ़ा रहा है, कोई स्वच्छता में लगा है, कोई किसानों की मदद कर रहा है, और ये सब करने के पीछे कोई लालसा नहीं है बल्कि इसमें समर्पण और संकल्प का निःस्वार्थ भाव है।
प्रधानमंत्री ने ‘Self 4 Society’ नामकपोर्टल के लांच के बारे में बताते हुए कहा ‘MyGov और देश की IT और electronics industry ने अपने employees को social activities के लिए motivate करने और उन्हें इसके अवसर उपलब्ध कराने के लिए इस portal को launch किया है’ सामाजिक कार्य के लिए जिस प्रकार से लोग आगे आ रहे हैं, वह देशवासियों के लिए प्रेरणादायक हैं। ’सेवा परमो धर्मः’- ये भारत की विरासत है।”मैं इस प्रतियोगिता के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम को शुभकामनाएं देता हूं और उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि सवा-सौ करोड़ भारतीय उनके साथ और उनके समर्थन में खड़े हैं व भारत आने वाली विश्व की सभी टीमों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।’
‘हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद से तो पूरी दुनिया परिचित है। बलविंदर सिंह सीनियर, लेस्ली क्लाउडियस, मोहम्मद शाहिद, उधम सिंह से लेकर धनराज पिल्लई तक हॉकी ने एक बड़ा सफर तय किया है। खेल प्रेमियों के लिए रोमांचक मैचिस को देखने का यह एक अच्छा अवसर है।’ प्रधानमंत्री ने सभी देशवासियों को ओडिशा जाके न सिर्फ भारतीय टीम का उत्साह बढ़ाने और खेल देखने की अपील की उसके साथ ही ओडिशा दर्शन के अवसर को भी प्राप्त करने को कहा।
भारत का हॉकी में स्वर्णिम इतिहास रहा है। अतीत में भारत को कई प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक मिले हैं और एक बार विश्व कप विजेता भी रहा है। भारत ने हॉकी को कई महान खिलाड़ी भी दिए हैं। भारत को इस वर्ष भुवनेश्वर में पुरुष हॉकी वर्ल्ड कप 2018 के आयोजन का सौभाग्य मिला है। हॉकी वर्ल्ड कप 28 नवंबरर से प्रारंभ हो कर 16 दिसंबर तक चलेगा।अर्जेंटिना में हुई समर यूथ ओलंपिक्स 2018 के विजेताओं से मुझे मिलने का मौका मिला। यूथ ओलंपिक्स 2018 में हमारे युवाओं ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया। हमने 13 पदक के अलावा मिक्स इवेंट में 3 और पदक हासिल किये।प्रधानमंत्री ने एशियन पैरा गेम्स के पैरा एथलीट्स से मिलकर उन्हें बधाई दी .इन खेलों में भारत ने 72 पदक जीते और नया रिकॉर्ड बनाकर भारत का गौरव बढ़ाया। उन्होंने कहा कि उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और हर विपरीत परिस्थिति से लड़कर आगे बढ़ने का उनका जज्बा हम सभी देशवासियों को प्रेरित करता है।प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश के युवाओं के भीतर अगर ये सभी गुण हों तो वो देश न सिर्फ अर्थव्यवस्था, विज्ञान और तकनीक जैसे क्षेत्रों में तरक्की करेगा बल्कि खेलों में भी अपना परचम लहराएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह खेल जगत में, स्पिरिट, स्ट्रेंथ, स्किल, स्टेमिना- ये सारी बातें बहुत महत्वपूर्ण हैं और एक खिलाड़ी की सफलता की कसौटी होते हैं, उसी तरह यही चारों गुण किसी राष्ट्र के निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्तूबर को भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजलि दी। ‘इनफैंट्री डे’ वही दिन है जब भारत के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल के सुझाव पर भारतीय सेना के जवान कश्मीर की धरती पर उतरे थे और घुसपैठियों से घाटी की रक्षा की थी।सरदार पटेल ने सभी रियासतों का भारत में विलय कराया। उनकी सूझबूझ और रणनीतिक कौशल से आज हम एक हिन्दुस्तान देख पा रहे हैं। एकता के बंधन में बंधे इस राष्ट्र को देख कर हम स्वाभाविक रूप से सरदार वल्लभभाई पटेल का पुण्य स्मरण करते हैं।1920 के दशक में अहमदाबाद में आयी बाढ़ में राहत कार्यों का प्रबंधन, सत्याग्रह को दिशा देना, देश के लिए सरदार पटेल की ईमानदारी और प्रतिबद्धता ऐसी थी कि किसान, मजदूर से लेकर उद्योगपति तक, सब उन पर भरोसा करते थे। इन पहलुओं को भी टाइम मैगजीन ने अपने इस लेख में उजागर किया गया था।
टाइम मैगज़ीन ने लिखा था कि भारत पर विभाजन, हिंसा, खाद्यान्न-संकट और सत्ता की राजनीति जैसे खतरे मंडरा रहे थे और इन परिस्तिथितयों में देश को एकता के सूत्र में पिरोने और घावों भरने की क्षमता यदि किसी में है तो वो हैं सरदार वल्लभभाई पटेल।
27 जनवरी, 1947 के अपने संस्करण में विश्व की प्रसिद्ध मैगजीन ‘Time’ ने कवर पेज पर सरदार पटेल की तस्वीर प्रकाशित की थी और अपनी लीड स्टोरी में जो भारत का नक्शा दिया था, वो कई भागों में बंटा हुआ था। उस समय 550 से ज्यादा देशी रियासते थीं और अंग्रेज देश को विभाजित करके छोड़ना चाहते थे।पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री हैरोल्ड मैकमिलन ने एक बार सरदार पटेल के बारे में कहा था कि उनकी नेतृत्व क्षमता अपने समय के नेताओं से बेहतर है।पीएम ने 31 अक्तूबर को पड़ने वाली सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर आयोजित होने वाली ‘एकता की दौड़’ दौड़ का जिक्र करते हुए कहा कि देश का युवा देश की एकता के लिए दौड़ने को तैयार है। उन्होंने देशवासियों से बड़ी संख्या में इस ‘एकता की दौड़’ में भाग लेने का आग्रह किया।
इससे पहले पीएम मोदी ने पिछले महीने 30 सितंबर को 48वीं बार ‘मन की बात’ की थी, जिसमें उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और देश के वीर जवानों के पराक्रम का जिक्र किया था। इस दौरान उन्होंने 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक को याद करते हुए कहा कि हमारे सैनिकों ने हमारे राष्ट्र पर आतंकवाद की आड़ में प्रॉक्सी वॉर की धृष्टता करने वालों को मुँहतोड़ जवाब दिया था।
उन्होंने पराक्रम पर्व का भी जिक्र करते हुए कहा था कि देश में अलग-अलग स्थानों पर हमारे सशस्त्र बलों ने प्रदर्शनी लगाई ताकि अधिक से अधिक देश के नागरिक खासकर युवा-पीढ़ी यह जान सके कि हमारी ताकत क्या है। पराक्रम पर्व जैसा दिवस युवाओं को हमारी सशस्त्र सेना के गौरवपूर्ण विरासत की याद दिलाता है और देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए हमें प्रेरित भी करता है।
इसके अलावा पीएम मोदी ने शांति सेना का भी जिक्र करते हुए कहा था कि भारत सदा ही शांति के प्रति वचनबद्ध और समर्पित रहा है। 20वीं सदी में दो विश्वयुद्धों में हमारे एक लाख से अधिक सैनिकों ने शांति के प्रति अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। आज भी यूएन की अलग-अलग शांति सेना में भारत सबसे अधिक सैनिक भेजने वाले देशों में से एक है। इस दौरान पीएम मोदी ने भारतीय वायुसेना और नौसेना के भी पराक्रम की सराहना की थी। साथ ही उन्होंने गांधी जयंती का भी जिक्र करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद किया और हमेशा उनकी बताई राह पर चलने के लिए प्रेरित किया।