कानपुर देहात:इसे कुदरत का करिश्मा कहें या कोई चमत्कार! थाना रसूलाबाद क्षेत्र के लुधौरा गांव में छह वर्ष पूर्व सांप के काटने केबाद परिजनों ने जिस बच्चे को मृत मानकर गंगा में प्रवाहित कर दिया था, वह छह साल बाद बंजारों के डेरे में नाचता-गाता मिला। सूचना मिलने पर पहुंचे परिजनों व किशोर ने एक दूसरे को पहचान लिया लेकिन परिजनों की लाख कोशिशों के बाद भी किशोर उनके साथ जाने को तैयार नहीं हुआ।
सर्पदंश से जुड़ी अनोखी कहानी
छह वर्ष पूर्व लुधौरा गांव के विनोद के इकलौते बेटे शैलेंद्र(7 वर्ष) को सांप ने काट लिया था। जिसके बाद परिजनों ने मृत मानकर कन्नौज स्थित मेहंदी घाट ले जाकर गंगा में प्रवाहित कर दिया था। इस घटना को परिजन लगभग भुला चुके थे। गत सोमवार को महबूबपुर गांव में आई बंजारों की टोली में किशोर शैलेंद्र को नाचते-गाते देख ग्रामीणों ने विनोद व उसके परिजनों को सूचना दी। इस पर विनोद जब महबूबपुर पहुंचे तो उनको डेरे के रामपुर कूच करने की जानकारी मिली। इस पर विनोद पत्नी गीता व परिजनों के साथ रामपुर गए। वहां परिजनों व किशोर ने एक-दूसरे को पहचान लिया।
परिजनों के आग्रह पर किशोर ने परवरिश करने वालों की मर्जी के बिना साथ चलने से इन्कार कर दिया। डेरे की अगुवाई कर रहे पप्पू बंजारा निवासी बिनौरा रामपुर कन्नौज ने परिजनों को बताया कि गंगा तट पर रहने वाली गुरुमाता ने बताया कि शैलेंद्र को नदी से निकाल मंत्रों के बल पर जीवित किया था। अभी वह इस बच्चे को परिजनों के साथ नहीं भेज सकता, लेकिन गुरु का आदेश लेकर वह 26 अक्टूबर को किशोर को लेकर उनके गांव आएगा तभी कुछ फैसला हो सकेगा। चौकी इंचार्ज अरविंद तिवारी ने बताया कि परिजनों के सहमत होने के बाद बंजारों का दल किशोर को लेकर कन्नौज लौट गया है। परिजनों की तहरीर मिलने पर अग्रिम कार्रवाई की जायेगी।