कानपुर:(फर्रूखाबाद) कानपुर देहात में गश्त के दौरान गजनेर की पामा चौकी के सिपाही की गोली लगने से मौत और फर्रुखाबाद में मंत्री की सुरक्षा ड्यूटी में तैनात दारोगा के खुद को गोली मार लेने की घटना को लेकर अभी पुलिस महकमे में चर्चाएं थमी नहीं थीं कि बुधवार को एक और सिपाही मौत की जानकारी मिलते ही पुलिस कर्मी सकते में आ गए। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया, वहीं पुलिस अफसरों ने मामले की जानकारी की है।
मूलरूप से राजेपुर फर्रुखाबाद निवासी सिपाही 40 वर्षीय अनिल कुमार सिंह अकबरपुर स्थित पुलिस लाइन में चालक के पद पर पिछले पांच साल से तैनात थे। यहीं पर ही बने आवास में वह रहते थे। उनका परिवार राजेपुर में ही रहता है। बुधवार सुबह उनके सीने व पेट में अचानक तेज दर्द होने लगा। इसपर सहकर्मी महेश और राजपाल एक गाड़ी से उसे सुबह करीब 6.30 बजे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। रजिस्टर में बिना लिखा पढ़ी किए डॉ अमरचंद्रा ने उसका इलाज शुरू कर दिया और फार्मासिस्ट से इंजेक्शन लगवाया। उसे अस्पताल में छोड़कर सहकर्मी चले गए।
पुलिस आई तब हुई पहचान
अस्पताल में करीब साढ़े दस बजे के बाद डॉ. आराधना ड्यूटी पर आईं तो परीक्षण में वह मृत अवस्था में मिले। डॉ. आराधना ने बताया कि कोई तीमारदार न होने की दशा तथा लिखा पढ़ी भी न होने पर लावारिस मरीज मरने की सूचना पुलिस को दी। कुछ देर बाद पुलिस पहुंची तो पता चला कि वह पुलिस लाइन का चालक अनिल था। जानकारी होते ही सदर एसडीएम एके सिंह, सीओ सदर अर्पित कपूर, इंस्पेक्टर ऋषिकांत शुक्ला मौके पर पहुंच गए।
अफसरों की छानबीन के दौरान बिना लिखापढ़ी के उसके इलाज कराने की बात सामने आई। पूछताछ में पता चला कि इंडोर ड्यूटी पर मौजूद डॉ. अमर चंद्रा ने उसका उपचार कर फार्मासिस्ट डीके गौतम से इंजेक्शन भी लगवाया था। इसके बाद एसडीएम ने डॉक्टर व फार्मासिस्ट को अपने साथ ले जाकर पूछताछ कर रहे हैं। अनिल सिंह 1994 में तैनात एटा पीएससी में तैनात हुए थे वहीं 6 वर्ष के बाद कानपुर देहात सिपाही हो गए वहीं परिवहन शाखा चालक सिपाही थे