उत्तर प्रदेश में सरकार और प्रशासन दोनों ही छात्रो से प्रदेश भर में महाविद्यालयों द्वारा वसूली जा रही अवैध वसूली के लिए जिम्मेदार है| सत्र शुरू होते ही हंगामा शुरू हुआ था| महाविद्यालयों के प्रबन्धक अधिक से अधिक अवैध कमाई की जुगत में छात्रो का मानसिक उत्पीडन कर रहे थे| फर्रुखाबाद में उस समय जिलाधिकारी धनलक्ष्मी तक बात पहुची थी मगर मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया| कानपुर में बात उठी मामला आयुक्त तक पंहुचा और सत्ता के गलियारों से चुप रहने की खामोश इशारो के बाद बात दब गयी मगर चिंगारी बुझी नहीं थी भ्रष्टाचार के खिलाफ|
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद के पीडी महिला डिग्री कॉलेज की छात्राओं ने जिलाधिकारी को शिकायत की थी कि प्रबन्धन बिना अतिरिक्त फीस लिए दाखिला देने को तैयार नहीं है| उस वक़्त तत्कालीन जिलाधिकारी ने जाँच की खाना पूर्ती के लिए शिकायती पत्र को जिला विद्यालय निरीक्षक को सौप दिया जिन्होंने मामले की लीपापोती कर पत्र को जिलाधिकारी को जाँच से सम्बन्धित पत्र वापस करना भी मुनासिब नहीं समझा| जिला विद्यालय निरीक्षक तो इन कॉलेज के अहसानों के तले दबे थे सो जाँच छात्रो के हित में क्या करते| मायावती की रेली के लिए इन्ही कॉलेज से बसे जो ली थी| (जेएनआई के पास सारे सबूत है हवा में नहीं लिखा जा रहा है)| बेचारी छात्राएं बेबसी में चुप बैठ गयी और आज भी उनका मानसिक उत्पीडन अवैध फीस वसूल कर किया जा रहा है, तमाम तरह के शुल्क वसूल कर|
लगभग पूरे प्रदेश में शिक्षा का व्यापार करने वालों का यही हाल है| जो छात्राएं किसी जुगाड़ से अवैध फीस देने से बच गयी उन्हें गुणवत्ता विहीन अध्यापको से पढ़वाया जाता है| सभी शिक्षक तो इनके यहाँ मानको पर हैं नहीं| चौदह हजार की तनख्वाह की जगह इन्हें 5 से 6 हजार दिए जाते है और दस्खत पूरे पर कराये जाते है| शर्म नहीं आती है एनजीओ बनाकर समाज सेवा का ढोंग करते है और जनता को लूटते है| अगर सच नहीं तो बताये बिना किसी उद्योग लगाये इतने करोड़ कहाँ से आये| और सरकार और प्रशासन अपना हिस्सा वसूल जनता को उसके हाल पर छोड़ लोकतंत्र की धज्जियाँ उडवा रही है|
अब प्रशासन और सरकार के इस गठजोड़ पर भ्रष्टाचार का पेड़ लगा है जिसके फल ये कॉलेज वाले देश के भविष्य छात्रो से कर रहे है| इतना ही नहीं इन कॉलेज वालो ने उच्च न्यायालय के आदेशो की न केवल जमकर धज्जियाँ उड़ाई बल्कि उच्च न्यायालय में छात्रो के पक्ष में अपना तर्क भी ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया| ये छलावा सरकार ने छात्रो से किया| मीडिया पर उच्च शिक्षा मंत्री का बयान केवल वाहवाही लूटने के लिए आया था मगर असल में इन्ही कॉलेज से होने वाली चुनावी चंदे की चादर में छात्रो का भविष्य गिरवी रख दिया| और अधिकांश नौकरशाह केवल वेतन पाने और अधिक से अधिक घूस की रकम कमाने के प्रयास में लगे रहते है जनता के हित में नौकरी नहीं करना चाहते|
बीएड फीस पर सरकार चुप क्यूँ?
सरकार और प्रशासन नियम को गजट और प्रसारित क्यूँ करती नहीं ताकि पता चले कि छात्रो को किता पैसा देना है| मायावती और उनके मंत्रियों के फोटो वाले बड़े बड़े बैनर तमाम योजनायों के लगे है एक होर्डिंग इसका भी जिला मुख्यालय पर इसका क्यूँ लगवाती| मामला गंभीर है इसके कारण छात्र अक्सर उग्र हो जाते और साथ में शरारती तत्व उन्हें भड़का कर राजनीती भी कर लेते है| इससे कानून व्यवस्था भी बिगडती है और विकास कार्य प्रभावित होता है| जिलों में जिलाधिकारी इसे सरकार से पूछ कर स्पष्ट करें ताकि छात्रों और कॉलेज प्रबन्धन के बीच भ्रम न फैले और कानून व्यवस्था में भी दिक्कत न आये| कॉलेज प्रबधन पुराने और भर्मित अदालती आदेशो को दिखा कर वसूली तो जमकर कर ही रहे है|