लखनऊ: हिंसा और यौन उत्पीडऩ का शिकार महिलाओं को अब एक ही छत के नीचे चिकित्सा, कानूनी और काउंसिलिंग की सुविधा मिल सकेगी। इसके लिए केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने देश में छह सौ से अधिक वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) खोलने का निर्णय लिया है, जिसमें यूपी के फर्रुखाबाद सहित 52 जिलों में वन स्टॉप सेंटर खोले जाने को स्वीकृति मिली है। इन केंद्रों पर सभी तरह की हिंसा से पीडि़त महिलाओं और बालिकाओं को अस्थाई रूप से रहने की सुविधा मिलेगी।
जानें ओएससी का उद्देश्य
ओएससी का उद्देश्य हिंसा से पीडि़त महिलाओं एवं 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं को एक ही छत के नीचे एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में फिर से लाना है। पीडि़त महिलाओं को चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध करा कर उन्हें सशक्त बनाना है। 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं की सहायता हेतु लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के अंतर्गत गठित संस्थाओं को सेंटर से जोडऩा।
यूपी के इन जिलों में खुलेंगे सेंटर
श्रावस्ती सहित अंबेडकर नगर, अमेठी, हरदोई, बाराबंकी, सीतापुर, लखीमपुर, रायबरेली, सुल्तानपुर, बलरामपुर, गोंडा, अलीगढ़, अमरोहा, औरैया, आजमगढ़, बागपत, बलिया, बस्ती, भदोही, बिजनौर, बदायूं, बिजनौर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, जालौन, जौनपुर, कानपुर देहात, कासगंज, कौशांबी, पडरौना, महराज गंज, मऊ, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, प्रतापगढ़, रामपुर, सहारनपुर, संभल, संत कबीर नगर, शामली, सिद्धार्थ नगर, सोनभद्र और उन्नाव जिलों में ओएससी खोले जाने हैं।
इन राज्यों में भी खुलेंगे सेंटर
सभी जिलाधिकारियों को जारी पत्र के अनुसार इन केंद्रों का संचालन एक माह के अंदर शुरू करना है। एक साल में इन केंद्रों का अपना भवन बनकर तैयार हो जाएगा। उससे पहले जिला अस्पताल परिसर या फिर उसके आसपास किराए के भवन में इन सेंटर का संचालन किया जाएगा। देश भर में एक सौ नये वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) खोले जाने हैं। यह सेंटर उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, नागालैंड, उड़ीसा और तमिलनाडु राज्यों में खोले जाने हैं।
निर्भया कोष से लिया गया धन
हिंसा से पीडि़त महिलाओं को चिकित्सा, कानूनी और काउंसिलिंग सुविधा मुहैया कराने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस योजना को एक अप्रैल 2015 को लागू किया। इस योजना के संचालन के लिए धन निर्भया कोष से लिया गया है। इस योजना के तहत महिलाओं से संबंधित मुद्दों को जल्द ही सुलझाने के लिए फास्ट ट्रैक महिला अदालतों का भी गठन किया जाना है। ऐसे ही जिलों के जिलाधिकारी कहते हैं कि यह एक सराहनीय व्यवस्था है, इस बाबत अभी अधिकृत पत्र नहीं मिला है। पत्र मिलने पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।