गाजियाबाद:सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी की अदालत ने शुक्रवार को प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व उनके मां-बाप पर आरोप तय किए। मामला लोक सेवक रहते हुए पद का दुरुपयोग कर अवैध ढंग से धन अर्जित करने और उस धन से संपत्ति खरीदने का है। आरोप तय होने के साथ तीनों पर मुकदमा चलने का रास्ता साफ हो गया है। मामले में सुनवाई के लिए अब 13 मार्च की तारीख नियत की गई है। अंटू पूर्व में फर्रुखाबाद जनपद की सदर सीट से विधायक रह चुके है|
सीबीआइ के वरिष्ठ लोक अभियोजक बीके सिंह ने बताया कि यूपी के स्वास्थ्य मंत्री पद पर रहते हुए अनंत कुमार उर्फ अंटू मिश्रा ने वर्ष 2007-11 के दौरान एनआरएचएम योजना के तहत दवा खरीदारी नियंत्रित करने के लिए डीपीओ के 100 नए पदों का सृजन किया। आरोप है कि बिना पूर्व प्रस्ताव और मांग के ऐसा किया था। इसमे 72 डॉक्टरों को वरिष्ठता व नियमों की अनदेखी कर डीपीओ नियुक्त किया गया। इसी तरह कई सीएमओ को भी नियुक्त किया गया। आरोप है कि पूर्व मंत्री ने दवा कारोबारियों के साथ मिलीभगत कर उनसे रिश्वत लेकर कारोबारियों के चहेतों को डीपीओ व सीएमओ नियुक्त किया।
इसके बाद दवा कारोबारियों के कहने पर दवा आपूर्ति के आदेश जारी कर सरकार का करीब 22 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया। आरोप है कि अंटू मिश्रा द्वारा भ्रष्टाचार कर कमाए गए कालेधन से उसके मां-बाप ने कई जगह संपत्ति खरीदी। इस तरह इन दोनों ने भ्रष्टाचार में साथ दिया। वरिष्ठ लोक अभियोजक के मुताबिक शुक्रवार को सीबीआइ की विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री अंटू मिश्रा, उनके पिता दिनेश चंद मिश्रा और मां विमला मिश्रा पर आरोप तय किए।
इसी मामले की दूसरी फाइल जिसमें अंटू मिश्रा समेत पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा व अन्य आरोपी हैं। उस मामले में भी शुक्रवार को सुनवाई थी, जिसके चलते बाबू सिंह कुशवाहा को अदालत में पेश होना था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। अदालत में वकील के माध्यम से उन्होंने हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र पेश किया।