फर्रुखाबाद: अर्थशास्त्री डॉ० एमएस सिद्दीकी ने केंद्र सरकार के कार्यकाल के अंतिम पूर्ण बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह बजट संभावित आम चुनाव व कुछ राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव की पृष्ठभूमि तैयार किया गया है यही कारण है कि बजट का मुख्य फोकस कृषि विकास शिक्षा स्वास्थ्य आज सुविधाओं के विस्तार पर है|
उन्होंने जेएनआई से बातचीत में कहा कि किसान को फसल का समर्थन मूल्य से डेढ़ गुना देने की बजट में बात कही गई है| दो हजार करोड़ रुपए में कृषि बाजार का ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है| इसके अलावा 10 करोड़ गरीब परिवारों को प्रतिवर्ष स्वास्थ्य हेतु पांच लाख देने का प्रावधान दिया गया है| बजट के इन प्रस्तावों का स्वागत किया जा सकता है| किसानों को समृद्ध बनाने वाले प्रस्ताव अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान कर सकते हैं| यही कारण है कि वित्त मंत्री ने इस क्षेत्र हेतु आवंटन में उदारता बढ़ती है| बजट का वृहदाकार होने के बावजूद राजकोषीय संतुलन बिठाना काफी चुनौतीपूर्ण होगा| बीते वर्ष जुलाई में लागू जीएसटी से राजस्व प्राप्ति में लगातार गिरावट आ रही है| इसके बावजूद जीएसटी के कारण राज्य में होने वाली हानि की भरपाई केंद्र को करनी होगी|
इससे राजकोषीय ढांचे को प्रस्तावित सीमा में बांधे रखना आसान नहीं होगा| इस बजट में कर्मचारी वर्ग को निराश किया है| छूट की सीमा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया महंगाई के कारण जीवन यापन की लागत में वृद्धि पर ध्यान नहीं दिया गया| टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया| वित्त मंत्री ने 40 हजार में स्टैंडर्ड डिटेक्शन एचडी की बापसी अवश्य कर दी है| किंतु साथ ही शिक्षा क्षेत्र में 1 फ़ीसदी वृद्ध की घोषणा भी कर दी है| कस्टम ड्यूटी को भी बढ़ा दिया है| इस प्रकार निश्चित वेतन भोगी व मध्यम वर्गी बजट प्रस्ताव से निराश हुए हैं|