लखनऊ:भाजपा संगठन और सरकार में पुनर्गठन के संकेत मिलने लगे हैं। इसको लेकर कुछ कवायद शुरू होती दिखाई दे रही है। 26 जनवरी तक प्रदेश इकाई में उपाध्यक्ष और महामंत्री समेत दर्जन भर से ज्यादा पदों पर समायोजन होने के संकेत हैं । सरकार में संगठन के कुछ लोगों को शामिल किये जाने की भूमिका बन रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शनिवार को वाराणसी में युवा उद्घोष कार्यक्रम के लिए आ रहे हैं। लखनऊ में भी उनका प्रवास होगा। शाह की मुहर लगने के बाद संगठन और सरकार में नये चेहरों को मौका मिलना संभव है।
विभागों का पुनर्गठन
इस बात के संकेत इसलिए भी है कि नीति आयोग के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में विभागों का पुनर्गठन किया जा रहा है। इसी बदलाव के अनुरूप मंत्रिमंडल में भी फेरबदल करने की आवश्यकता होगी। इससे कई मंत्रियों के विभाग बदल जाएंगे। योगी सरकार के दस माह पूरे हो रहे हैं और सामने 2019 के लोकसभा चुनाव की चुनौती खड़ी है। मंत्रिमंडल के कई सहयोगी हैं जिनकी भूमिका से न तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुश हैं और न ही संगठन। ऐसे में कुछ लोगों की छुट्टी होनी तय है। इधर संगठन में भी कुछ पदाधिकारियों ने लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके योगदान के बदले उन्हें महत्व मिलने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। गुरुवार को भाजपा मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने महत्वपूर्ण लोगों से गुफ्तगू की। संगठन महामंत्री सुनील बंसल खुद पदाधिकारियों के कामकाज को अपनी कसौटी पर परखते हैं।
कुछ ऐसे भी संकेत
संकेत मिल रहे हैं कि प्रदेश महामंत्री अशोक कटारिया और विजय बहादुर पाठक तथा प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर व बाबू राम निषाद समेत कुछ लोगों को सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है। संगठन में मंत्री पद का दायित्व निभा रहे संतोष सिंह, गोविंद नारायण शुक्ल समेत कई पदाधिकारियों को प्रोन्नत किया जा सकता है। ऐसे और भी कई नाम हैं जिनको लेकर चर्चा तेज है। दूसरे कार्यकर्ताओं को भी पद दिया जा सकता है। प्रदेश संगठन के दो उपाध्यक्षों के केंद्र और तीन के प्रदेश सरकार में मंत्री तथा दो महामंत्रियों के राज्य सरकार में मंत्री बनने से उनकी जगह दूसरों को मौका मिलना तय है।
निगम, आयोग और विभिन्न संस्थाओं में भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की भी नियुक्ति की जानी है। इसके लिए भी प्रदेश संगठन से लेकर चुनाव हारने वाले कुछ उम्मीदवारों के नाम पर मंथन चल रहा है। अप्रैल और मई में राज्यसभा व विधान परिषद के भी चुनाव होने हैं। दोनों सदनों में करीब दो दर्जन सीटों पर भी महत्वपूर्ण कार्यकर्ताओं को स्थापित किया जाना है।