कानपुर:पुलिस के रवैये से कोई भी अनजान नहीं है। अपने इसी रवैये के चलते बिना पड़ताल किए गोविंद नगर पुलिस ने एक व्यक्ति को अपराधी समझकर उठा लिया। उसके लाख चिल्लाने के बावजूद भी उसकी पहचान की पड़ताल नहीं की। मामला कोर्ट पहुंचा तो हंगामा मच गया। पहचान पत्र देखने के बाद न्यायालय ने रिमांड निरस्त करते हुए पुलिस कर्मियों को फटकार लगायी और रिहा करने के आदेश दिए।
गोविंद नगर के कच्ची बस्ती निवासी मन्नालाल मौर्य (65) 11 दिसंबर को स्नोफीलिया से पीड़ित होने के चलते घर पर आराम कर रहे थे। आरोप है, सुबह करीब 11 बजे गोविंदनगर थाने के सिपाही मुकेश एक अन्य सिपाही के साथ उनके घर पहुंचे और साथ चलने को कहा। उन्होंने कारण पूछा तो बिना बताए कुछ दूर तक ले आए।यहां पहले से उपस्थित चौकी इंचार्ज और दो सिपाहियों ने मन्नालाल को मोटरसाइकिल पर बिठा लिया और थाने ले गए। यहां हेड मुहर्रिर अच्छे लाल के सामने भी मन्नालाल ने अपना अपराध पूछा तो हवालात में डालने का आदेश कर दिया। इसी बीच उनके पास रखे आठ हजार रुपये और मोबाइल एक सिपाही छीनने लगा तो चौकी इंचार्ज ने डांटा और नाती मनीष को बुलाकर उसे सौंप दिया।
एलएलआर अस्पताल में मेडिकल कराने के बाद पुलिस ने उन्हें एसीएमएम तृतीय के न्यायालय में पेश किया। मामले में अधिवक्ता हरिशंकर मौर्य ने बताया कि जब उन्होंने न्यायालय की फाइल देखी तो आर्म्स एक्ट में किसी मुन्नालाल मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट और कुर्की नोटिस जारी था। इस खुलासे के बाद गलत व्यक्ति को पकड़कर कोर्ट में पेश करने की सूचना से खलबली मच गई।अधिवक्ता के मुताबिक मन्नालाल ने न्यायालय में अपना पहचान पत्र (आधार कार्ड) लगाया जिसके बाद न्यायालय ने पुलिस कर्मियों को फटकार लगाते हुए उन्हें रिहा कर दिया। गोविंद नगर के इंस्पेक्टर अमित सिंह ने बताया, मुझे प्रकरण की कोई जानकारी नहीं है। यदि ऐसा हुआ तो गलत है। जांच कराई जाएगी।
मिडिया से हुई बातचीत में मन्नालाल घटनाक्रम बताते हुए रो पड़े। बोले, 65 वर्ष की उम्र में बहुत इज्जत कमाई है। शरीफ आदमी हूं। मैं चिल्लाता रहा, पर पुलिस ने एक न सुनी। एक ही दिन में जिंदगी भर कमाई इज्जत उतार दी। मैं स्नोफीलिया से पीड़ित था। पूछा, क्या आरोप है तो हवालात में डाल दिया। अब पुलिस लगातार दबाव बना रही है। मैं और मेरा पूरा परिवार भयभीत है।