फर्रुखाबाद: जब दीपक बिक्री हो तो रूपये आये और रुपये आये भी तो माँ-बाप बच्चो के पेट भरे या उनके दीवाली के पटाखे दिलाये| यह हाल है वर्तमान में दीये बनाने वाले परिवारों का| बीते दिनों 15 अक्टूबर को इसी दर्द को देखते हुये जेएनआई में एक समाचार(दीये बिक्री हो तो मने अंशिका की दीवाली) शीर्षक प्रकाशित किया गया था| जिसमे मायूस अंशिका व उसका परिवार दीयो के आगे चाइना की झालरों को कोस रहा था|
बाजार में हालात यही है| लोग चाइना का सामान अधिक खरीद कर रहे है| लेकिन दीये तो केबल पूजा आदि के लिये पांच या 11 ही खरीद कर कुम्हार की मेहनत और पूरे वर्ष के इंतजार को ठेस पंहुचायी जाती है| इस बात पर हिन्दू महा सभा सक्रिय हो गयी| बुधवार को संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश मिश्रा अपने दर्जनों समर्थको व कार्यकर्ताओ के साथ नई बस्ती अंशिका की दहलीज पर पंहुचे| अपने बीच दर्जनों लोगो को पाकर अंशिका व उसके साथियों के चेहरे पर ख़ुशी देखने लायक थी| संगठन के लोगो ने पहले अंशिका के साथ ही साथ उन बच्चो को पटाखे और मिठाई वितरित की| जिसे देखकर उनके चेहरों पर खुशी साफ झलक रही थी|
पदाधिकारियों ने सैकड़ो दिये वही से खरीदे भी| जिससे उस परिवार को आर्थिक मदद भी मिली| सौरभ मिश्रा, अनुभव मिश्रा, हिमांशु मिश्रा, संतोष त्रिपाठी, अंकुर वर्मा, रत्नेश,अभिषेक वाजपेयी आदि रहे|