लूटतंत्र का खेल- 16 लाख की एक झाडू

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फर्रुखाबाद: एक सफल व्यवसायी ने नगरपालिका फर्रुखाबाद को भी जनता की सेवा का केंद्र न बनाकर व्यापारिक केंद्र का गोदाम बना डाला| पिछले कई साल से पालिका में श्रम पर जोर देकर व्यवस्था दुरुस्त करने की जगह मशीने खरीद कर पालिका को कबाड़ा सेंटर में बदला जा रहा है| जेसीबी, कूड़ा उठाने की मशीन, हाइड्रोलिक टेक्टर और अब 16 लाख की मशीन झाड़ू लगाने के लिए खरीदने की तैयारी|

लोकतंत्र में व्यवस्था को चलाने के लिए नियुक्त प्रशासन और उन पर अंकुश रहने को गद्दीनशीं नेता दोनों मिलकर जनता के धन की गाढ़ी कमाई को दोनों हाथो से इस तरह से खर्च कर रहे है कि उसमे से अधिक से अधिक धन कमीशन के रूप में उनकी जेब में आ जाये| भले ही खर्च किये धन से व्यवस्था सुधरे या नहीं| नगर में पानी निष्कासन के लिए बने बड़े नाले चोक पड़े है| एक हलकी सी बरसात नगर में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न कर देती है| उसे साफ़ करने के लिए पालिका के पास कोई जतन नहीं है| लगभग पूरे नगर वालों को बिना क्लोरीन का दूषित पानी पीने को मिलता है उस सुधारने की कोई व्यवस्था नहीं| घूमना से आईटीआई चौकी तक बनी सड़क बनते बनते टूट गयी उसका कोई निदान नहीं| पुरानी बिगड़ी व्यवस्था को सुधारने की जगह नई लाखो करोडो की खरीदारी करके उसमे से माल कमा लेना अब व्यवस्था के कर्णधारो का मूल मंत्र बन गया है|

ऐसा नहीं कि पालिका विकास कार्य नहीं कराता, दर्जनों नयी बनी गालिओ और सडको ने जीवन व्यवस्था को सुधारा है| मगर ये सुधार तक तब कामयाब नहीं है जब तक इनकी बनी परियोजना में दीर्घकालीन समय तक दुरुस्तीकरण के मानक न तय किये जाए| नगर में अतिक्रमण एक दिन में नहीं बढ़ा| हर दिन कहीं न कहीं निर्माण कार्य हो रहा है| लोग लालचवश सार्वजनिक जमीनों को अतिक्रमण कर उन पर बसेरा बना लेते है और पालिका के कर्मी खबर मिलने के बाद भी उन्हें रोकने की जगह अतिक्रमणकारियो से पैसे वसूल कर नगर की व्यवस्था को सत्यानाश कर रहे है| क्यूँ नहीं जुर्माने की व्यवस्था को अधिक कठोर किया जाता| सम्बन्ध ख़राब होने के डर से यदि व्यवस्था को बिगड़ते हुए देखना ही नियति है तो फिर जनता से दुबारा वोट लेकर जीतने की उम्मीद न करे नेता|