नई दिल्ली: सरकारें दुधारू पशुओं की चोरी और तस्करी पर रोक लगाने के लिए अब जानवरों का भी आधार कार्ड बनाने पर विचार कर रही है। इसकी पहल सबसे पहले उत्तराखंड ने की है। हालांकि, इस योजना को अमली जामा कैसे पहनाया जाए। इसपर अभी सरकार विचार कर रही है। सूत्रों की मानें तो कुछ तकनीकी खामियां आ रही है, लेकिन उसे भी जल्दी ही राय-मशविरा लेकर सुलझा लिया जाएगा। सरकार सभी पशुओं का आधार कार्ड बनवाने पर विचार कर रही है। लेकिन, सबसे पहले गाय, भैंस का आधार कार्ड बनवाया जाएगा। इसके पीछे तर्क ये दिया जा रहा है कि जानवरों का रिकॉर्ड रखने में आसानी होगी। साथ ही इन जानवरों की बीमारियों से बचाने के संबंध में भी कामयाबी मिलेगी।
संभव ये भी है कि इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए कुछ टीम को उत्तराखंड भेजा जाए और इस योजना की पूरी जानकारी हासिल की जाए। फिलहाल, इसकी जिम्मेवारी राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम को सौंपी गई है। इसकी देख-रेख नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड करेगा। यदि सबकुछ ठीक रहा तो जानवरों का आधार कार्ड बनवाने का काम जुलाई के दूसरे हफ्ते से शुरू हो जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अभी 90 लाख दुधारू पशु हैं जिसमें गायों की संख्या काफी कम है। हर 10 दुधारू पशुओं में 7 भैंस और 3 गाय शामिल हैं। इस कार्ड के बन जाने के बाद हर पशु के कान में एक कार्ड लटकाया जाएगा, जिसमें उसकी सभी जानकारियां रहेंगी। 12 नंबरों की यह संख्या होगी। जैसे ही इसे सर्वर से जोड़ा जाएगा तो सभी जानकारी कंप्यूटर के स्क्रीन पर होगी।
इस कार्ड में पशु की तस्वीर, उसकी क्षमता, नस्ल और संबंधित पशुपालक से संबंधित सूचनाएं भी होंगी। पशु के माता-पिता, जन्म व बीमारियों से संबंधित सूचनाएं दर्ज की जाएगी। इसे जरुरत पड़ने पर अपडेट भी किया जाएगा।