लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने आज पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ रहे ‘गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना’ का निरीक्षण किया और उसकी प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया। योगी ने करीब 1500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली गोमती रिवरफ्रण्ट परियोजना का निरीक्षण करते हुए कहा कि मई 2017 तक पूरी हो जाने वाली इस परियोजना का अभी तक 60 फीसदी से भी कम काम हो पाया है।
इस पर अब तक 1427 करोड़ रुपये खर्च हो चुकने के बावजूद विभाग द्वारा लगभग 1500 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है। योगी ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि लगभग 1400 करोड़ रुपये से अधिक व्यय करने के बाद भी गोमती नदी में गिरने वाले नालों को रोका नहीं जा सका है। कार्यदायी संस्थाओं ने फव्वारे जैसे गैर-जरूरी कामों पर जनता की गाढ़ी कमाई को खर्च कर दिया और लखनऊ की जनता को इसका कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। मालूम हो कि गोमती रिवरफ्रण्ट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की स्वप्निल परियोजना थी।
मुख्यमंत्री ने परियोजना की प्रगति एवं इसकी उपादेयता के प्रति असंतोष व्यक्त किया और गोमती नदी को गंगा की सहायक नदी बताते हुए कहा कि इस परियोजना को ‘नमामि गंगे’ परियोजना से जोड़कर नदी में गिरने वाले सभी गन्दे पानी के नालों को बन्द करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए था, जिससे नदी की अविरलता बनाये रखने एवं पानी को शुद्घ करने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। योगी ने निर्देशित किया कि सबसे पहले गन्दे नालोें को नदी में गिरने से रोकने के लिए निर्माणाधीन सेप्टिक ड्रेन का काम आगामी मई तक पूरा कराया जाए। इसके साथ ही, दोनों तरफ बन रहे डाइफ्राम वॉल को कलाकोठी तक बढ़ाया जाए।
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव इस परियोजना से सम्बन्धित प्रमुख सचिव अपने स्तर पर एक सप्ताह में समीक्षा करते हुए इस पर आने वाले वास्तविक व्यय के सम्बन्ध में अपनी राय दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार परियोजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को हर हाल में बन्द करने के लिए दृढ़संकल्पित है। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने की इजाजत नहीं दी जा सकती।