बेसिक शिक्षा: मुख्यालय पर ही बुरा हाल

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फर्रुखाबाद: अगर उत्तर प्रदेश के नगरिको से पूछा जाये कि प्रदेश में सबसे बढ़िया सरकारी नौकरी कौन सी है जिसमे सबसे ज्यादा हरामखोरी हो सकती है तो 10 में से 8 का जबाब होगा बेसिक शिक्षा परिषद् के शिक्षक की नौकरी| स्कूल जाओ या न जाओ, जाओ भी तो पढ़ाओ या न पढ़ाओ कोई पूछने वाला नहीं|

स्कूल की पुताई में सफ़ेद सीमेंट की जगह चूना लगाओ और मिड डे मील, बजीफा और मुफ्त किताब और ड्रेस सबमे बच्चो का हिस्सा खा जाओ, इसे भी कोई पूछने वाला नहीं| ये तो एक बानगी है मगर शर्म है कि इन्हें आती नहीं और अधिकारी अपनी जेबे गरम करने के आलावा बच्चो की सुध लेते नहीं इसीलिए शायद उत्तर प्रदेश देश में पिछड़ेपन में पहला स्थान पाने वाला है क्यूंकि बिहार तरक्की कर रहा है|

समय दोपहर ११ बजे जूनियर पिथुपुर मेहेंदिया में 4 की जगह दो शिक्षक पहुचे और धूप सेक कर स्कूल बंद कर चले गए| बच्चे मैदान में खेलते रहे|

मुख्खालय से चंद किमी की दूरी पर स्थित धन्सुआ ग्रामसभा के तीन स्कूलों प्राइमरी जूनियर और कन्या प्राइमरी में स्कूल चूने से पुत गए और मिड डे मील का आलम ये कि पंचायत चुनाव के बाद से चूल्हा नहीं जला|

सत्र समाप्ति की ओर है और बच्चो के बस्ते में किताबे अभी भी अधूरी ही पहुची हैं| मास्टर साहब की डायरी का अता पता नहीं है| प्रधान मास्टरों की पोल खोल रहा है और मास्टर प्रधान की मगर जनता को दोनों ही चोर चोर मौसेरे भाई लगते है|